हिमाचल

अडानी द्धारा सीमेंट कारखानों को बन्द करना गैरकानूनी: माकपा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पिछली शाम अडानी समूह द्धारा बिलासपुर जिला के बरमाणा ऐ सी सी सीमेंट प्लांट और अम्बुजा सीमेंट प्लांटों को अचानक बन्द करने की कड़ी निंदा की है और सरकार से इस कंपनी के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है.
पार्टी लोकल कमेटी के सचिव व पूर्व ज़िला पार्षद ने कहा कि ये सब केंद्र सरकार द्धारा लागू की जा रही निजीकरण की नीतियों का परिणाम है. इन कारखानों को अचानक बन्द करने से इनमें काम कर रहे हजारों कर्मचारियों और मजदूरों की नॉकरी पर संकट पैदा हो गया है साथ ही सीमेंट के ढुलान में लगे हज़ारों ट्रक और उनमें काम करने वाले कर्मचारियों का रोज़गार भी छिन्न जाएगा.
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने उद्योगपति मित्रों को ये छूट दे दी है कि वे बिना किसी पूर्व सूचना व नोटिस के ऐसा क़दम उठा सकते हैं. उन्होंने कहा अडानी समूह जो पिछले पांच साल में दुनिया का सबसे अमीर उद्योगपति बन गया है और उसी ने ही कुछ समय पहले इन दोनों सीमेंट कारखानों को खरीदा था और पिछले दो साल में ही सीमेंट के दाम दो सौ रुपये प्रति बैग बढ़ा दिये और वर्तमान नई सरकार के गठन के दिन भी पांच रुपये प्रति बैग बढ़ा दिये हैं.
लेकिन अब अचानक उन्होंने इन कारखानों को बन्द करने का नोटिस लगा दिया और आज से सभी कर्मचारियों को काम पर न आने के लिए आदेश दे दिया है. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार को इस कम्पनी के विरुद्ध मुकदमा दायर करके इन कारखानों को शुरू करवाना चाहिए.
उन्होंने अडानी समूह पर आरोप लगाया कि उन्होंने फैक्ट्री क़ानून और श्रम कानूनों की उलनघन्ना की है. इसलिए उनके ख़िलाफ़ कार्यवाई कि जानी चाहिए और इन कारखानों को पुनः चालू करने के लिए कदम उठाने चाहिए.
कंपनी की उस दलील को भी हास्यस्पद बताया है. जिसमें उसने ये कहा है कि ये कारखाने घाटे में चल रहे थे. इसलिए इन्हें शट डाउन किया गया है. उन्होंने सवाल खड़े किए हैं  कि कुछ समय पहले जो कारखाने मुनाफे में थे.
वे अचानक प्रदेश में भाकपा सरकार के सत्ता से बाहर होने पर कैसे घाटे में हो गए. इससे   ये भी संकेत आ रहे हैं कि अडानी समूह ने मोदी सरकार के इशारे पर राजनीतिक तौर पर ये सब किया है.
उन्होंने कहा कि अगर ये कारखाने घाटे में चल रहे थे तो उन्हें मुनाफे में लाने के लिए कई तरह के उपाए हैं. जिन्हें किया जा सकता था. लेकिन इन्हें बन्द करना किसी भी सूरत में जायज नहीं है. इसलिए राज्य और केंद्र सरकार को इन कारखानों को जल्दी शुरू करने के लिए हस्तक्षेप करना होगा.
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