<p>पिछले कुछ दिनो से ब्यास नदी में डंपिंग एक गंभीर समस्या बन गई है। पिछले कल जिला मंडी में दुआडा के पास (हनोगी माता मंदिर के समीप) रात को एफकॉन कंपनी की लगभग सौ के आसपास मिट्टी, मलबा और पत्थरों से भरे डंपर ब्यास नदी में फेंके गए। जो पानी और पर्यावरण की दृष्टि से एक गंभीर समस्या बन गई है। पर्यावण की लड़ाई लड़ती ब्यास नदी दिन-व-दिन प्रदूषित हो रही है। ऐसे पत्थरों, मलबे और मिट्टी एवं रासायनिक पदार्थों से भरे ब्यास के पानी को प्रदूषित करने के लिए कौन जिम्मेदार है?</p>
<p>हिमाचल सरकार और एनजीटी इस मामले से पुरी तरह बेखबर है। प्रशासन की चुनौती को ठेंगा बता कर दोषी कानून की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप जलीय जीव सहित पंडोह डैम को भविष्य में खतरा है। इस तरह की गतिविधियों से पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा होता जा रहा है।</p>
<p>डंपिंग के निपटान और अपशिष्टों का निर्वहन करने के लिए जो स्पैशल साईटस निर्धारित की गई है, इस तरह खुले पानी मे कीचड़, मिट्टी और पत्थर का फेंकना गलत है, जो दिन प्रतिदिन ब्यास नदी के परिदृश्य को खराब करता जा रहा है। जिससे पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर समस्या पैदा कर रहा है। </p>
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