हिमाचल प्रदेश के सबसे दुर्गम एवं जनजातीय क्षेत्र लाहौल घाटी में 108 एंबुलेंस सेवा आजकल मरीजों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है। क्षेत्रीय अस्पताल केलांग से मरीज रेफर होते ही एंबुलेंस के पायलट ने अपनी जान की परवाह किए बिना बर्फ से जमी सड़क पर एंबुलेंस दौड़ाकर मरीजों को कुल्लू पहुंचा रहे हैं। घाटी में एक भी स्पेश्लिस्ट डॉक्टर न होने से यहां तैनात डॉक्टरों के पास मरीजों को रैफर करने के सिवाए कोई दूसरा साधन नहीं है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक 108 एंबुलेंस सेवा से माइनस डिग्री तापमान के बीच मरीजों को सुरक्षित घाटी से निकाला है। 45 दिन के अंदर 24 मरीज रोहतांग टनल के रास्ते कुल्लू पहुंचाए गए हैं। रोहतांग दर्रा भारी बर्फबारी के चलते यातायात के लिए बंद हो गया है। ऐसे में बीमार और जरूरतमंद लोगों के लिए घाटी से बाहर निकलने का एकमात्र साधन रोहतांग टनल ही है।
रोहतांग टनल प्रबंधन ने मरीजों को टनल के रास्ते निकालने के लिए पाबंदी नहीं लगाई है। परीक्षार्थियों और अन्य जरूरतमंद लोगों को भी टनल प्रबंधन अपने निजी गाडियों से बाहर निकालने में हर संभव सहायता दे रहा है। तांदी पुल से रोहतांग टनल के नॉर्थ पोर्टल तक भारी बर्फ के बीच जमी सड़क पर गाड़ी चलाना काफी दिक्कत भरा है। बावजूद इसके एंबुलेंस से मरीजों को रोहतांग टनल से लाया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक 7 नवंबर से लेकर अब तक एंबुलेंस के जरिये 24 मरीजों को रोहतांग टनल के रास्ते क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू पहुंचाया गया है। एंबलेंस के जिला प्रभारी आशीष ने कहा कि लाहौल से रैफर मरीजों को टनल के रास्ते एंबुलेंस से कुल्लू लाया जा रहा है।