हिमाचल

एम्बुलेंस सेवाएं बन्द होने से मरीज़ परेशान, कई कर्मियों की नौकरी भी खतरे में

हिमाचल में चलाई जा रही 108 और 102 एंबुलेंस को लेकर सरकार की एक और लापरवाही सामने आई है। शनिवार को सुबह से ही एंबुलेंस सेवा ठप्प हो गई है और आज भी बन्द है जिससे मरीजों को काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की सबसे बड़ी लापरवाही यह सामने आई है कि अब नई कंपनी मेडसवान फाउंडेशन को एंबुलेंस चलाने का टेंडर दे दिया है।

ऐसे में पुरानी कंपनी जी.वी.के. ई.एम.आर.आई ने एंबुलेंस राज्य सरकार को सुपुर्द करनी हैं। सरकार ने सभी एंबुलेंस को जिला मुख्यालय में लाने के निर्देश दिए है, ताकि इन्हें सरकार के सुपुर्द किया जाए। ऐसे में सभी क्षेत्रों से जिला मुख्यालयों में एंबुलेंस को पहुंचाया गया है, जिसके चलते एंबुलेंस सेवा लोगों को नहीं मिल पाई। यहां पर दिक्कतें यह भी बढ़ गई है कि एक तरफ कोरोना के चलते नाइट कर्फ्यू लगा है और कोरोना के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में लोगों को एंबुलेंस ना मिलने से मरीजों को अस्पताल में पहुंचाने के लिए भारी पैसे खर्च कर निजी गाड़ियों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।

यहां पर लोगों के यह भी सवाल उठने शुरू हो गए है कि इन एंबुलेंस को जहां हैं वहीं पर अगर सुपुर्द किया जाता तो दिक्कतें न आती। हिमाचल में 108 एंबुलेंस सेवा का जिम्मा मेडसवान फाउंडेशन को आगामी 4 साल के लिए दिया गया है। ऐसे में अब प्रदेश में चल रही 108 एंबुलेंस सेवा के तहत 200 और 102 सेवा के तहत 125 एंबुलेंस सरकार के सुपुर्द होने के बाद मेडसवान फाउंडेशन को चलाने के लिए दी जाएंगी।

वहीं, नई कंपनी को टेंडर मिलने के बाद जो एंबुलेंस में पुराने ट्रेंड कर्मचारी हैं उनमें से कुछ कर्मचारियों को अभी तक ऑफर लेटर भी नहीं मिले हैं। ऐसे में उन्हें नौकरी से हाथ धोने पड़ सकते हैं। प्रदेश में कुल 1200 के करीब कर्मचारी हैं। इनमें यूनियन के साथ जो 200 कर्मचारी जुड़े है उन्हें किसी को भी ऑफर लेटर नहीं मिले है। ऑफर लेटर ना मिलने से कर्मचारियों में काफी रोष पनप गया है। इस संबंध में कर्मचारी सोमवार को प्रदेश सचिवालय में पहुंचेगे और ऑफर लेटर की मांग करेंगे।

यूनियन का कहना है कि पुराने कर्मचारियों को ही नौकरी में रखा जाए। पहले भी सरकार से मांग की जा चुकी है। कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा। प्रदेश एंबुलेंस कर्मचारी युनियन के अध्यक्ष पूर्णचंद ने कहा कि कर्मचारियों के साथ अगर खिलवाड़ किया गया तो बदार्शत नहीं किया जाएगा। जितने कर्मचारी पहले से ही एंबुलेंस में सेवाएं दे रहे हैं उन सभी को ज्वाइनिंग लेटर मिलने चाहिए। उन्हें नौकरी से बिलकुल भी ना निकाला जाए। कर्मचारी ने 90 और 60 दिन की ट्रेनिंग की है और काफी सालों का अनुभव है। अगर इन्हें नौकरी से निकाला गया तो आंदोलन तेज होगा।

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