हिमाचल प्रदेश की करीब 5000 करोड़ की आर्थिकी माने जाने वाला सेब मंडियों में आना शुरू हो गया है। मंडियों ने अर्ली किस्म टाइडमैन सेब बिकना शुरू हो गया है। शिमला की भटाकूफर फल मंडी में करसोग और लोअर बेल्ट शिमला से सेब पहुंचने शुरू हो गए हैं। हालांकि सूखे की मार से इस बार सेब का आकार नहीं बन पाया जिसके चलते बागवानों को ज्यादा अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। लेकिन जो अच्छी फसल है उसके दाम 1000-1500 तक प्रति पेटी (25 किलो पेटी) दाम मिल रहे हैं। इस बार सेब की फसल तो सामान्य मानी जा रही है लेकिन मौसम की मार से फसलों पर विपरीत असर पड़ा है। जिसकी वजह से मार्किट में दाम कम हैं।
शिमला की भट्टाकुफ़्फ़र फल मंडी में सेब की फसल बेचने पहुंचे बागवानों ने बताया कि इस साल मार्च अप्रेल महीने में पड़े सूखे की मार सेब पर पड़ी है। सेब का आकार भी छोटा रह गया जिस वजह से दाम नहीं मिल पा रहे हैं। पिछले वर्ष के मुक़ाबके सेब के दाम उन्हें कम मिल रहे हैं। सेब के कार्टन से लेकर खाद और कीटनाशकों के दाम पर ज्यादा खर्च हो रहा है बदले में दाम कम मिल रहे हैं। ऊपर से सड़कों की स्थिति और माल भाड़े के अधिक होने से सेब में मुनाफ़ा न के बराबर रह गया है।
वहीं, सेब मंडी में आए आढ़तीयों का कहना है की अच्छे सेब के दाम 1500 प्रति पेटी तक हैं। अभी मार्केट में टाइडमैन ही पहुंच रहा है। सबसे बड़ी समस्या जगह की है इतनी भीड़ में काम करना मुश्किल हो रहा है। दो साल पहले फल मंडी में पहाड़ी का मलबा आ गया था उसको आज तक शुरू नहीं किया जा सका है। बिजली तक फल मंडी में नहीं है। सड़कों की खस्ता हालत है, मंडी में टॉयलेट और पानी तक का प्रबंध तक नहीं है। ऐसे सेब के रख रखाब में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सेब का ये शुरआती दौर है ये सेब सीजन अभी अक्टूबर महीने तक चलेगा। क्योंकि अकेले शिमला में ही इस मर्तबा 2 करोड़ से ज्यादा सेब की पेटियां होने का अनुमान है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 1,10,679 हेक्टेयर क्षेत्र में 7.77 लाख मीट्रिक टन सेब पैदा किया जाता है। हिमाचल में शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, सिरमौर जिलों में सेब पैदा किया जाता है। हिमाचल के कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है। एक अनुमान के अनुसार हिमाचल प्रदेश में बागवानी क्षेत्र से 12 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। राज्य में अढ़ाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जा रही है। अब प्रदेश सरकार की योजना फल कारोबार को 5 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर 6 हजार करोड़ करने का लक्ष्य है।