हिमाचल

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ अटल टनल रोहतांग का नाम

हिमाचल प्रदेश के नाम एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। क्योंकि हिमाचल में बनी अटल टनल रोहतांग का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। समुद्र तल 10 हजार 44 फीट ऊंचाई पर स्थित इस टनल को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने दुनिया की सबसे लंबी यातायात टनल का सम्मान दिया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से सर्टिफिकेट दिया गया है।

बता दें कि कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिला को जोड़ने वाली इस टनल की कुल लंबाई 9.02 किलोमीटर है। इस टनल का निर्माण हिमालय की पीरपंजाल की चोटियों को भेदकर करीब 10 साल की अवधि में BRO ने किया है। भारतीय और ऑस्ट्रिया कंपनी स्ट्रॉबेग और एफकॉन ने भी टनल निर्माण में सहयोग किया।

टनल निर्माण की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के मुख्यालय केलांग में की थी। उस दौरान टनल की लागत करीब 1500 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन टनल के निर्माण पर 3600 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अटल टनल बनने के बाद मनाली से चीन सीमा से सटे लेह की दूरी करीब 45 किमी घट गई। वहीं इस रूट का सफर कम से कम पांच घंटे कम हो गया है। इसके साथ सर्दी के मौसम में बर्फबारी से बंद होने वाला जनजातीय क्षेत्र लाहौल 12 महीने देश दुनिया से जुड़ गया है। तीन अक्तूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल टनल रोहतांग का उद्घाटन किया था। इसके बाद से अटल टनल देशभर के पर्यटकों के लिए पहली पसंद बनी है।

कई खूबियों से लैस है अटल टनल रोहतांग

अटल टनल रोहतांग किसी अजूबे से कम नहीं है। सुरक्षा के लिहाज से टनल में लाजवाब मैकेनिज्म मौजूद है। टनल के भीतर हर 150 मीटर के फासले पर स्वतः खुलने वाले एमर्जेंसी इग्रेस डोर स्थापित किए गए हैं। कोई भी व्यक्ति इसका दरवाजा खोलकर कंट्रोल रूम तक अपनी बात पहुंचा सकता है। त्वरित कम्युनिकेशन की इस व्यवस्था में फोन और वन टच पैनिक बटन से सीधे कंट्रोल रूम बात होती है। बटन दबाते ही कंट्रोल रूम से तुरंत संपर्क होगा।

कंट्रोल रूम अत्याधुनिक कैमरे की मदद से आपदा से राहत लेने वालों को ऑडियो व वीडियो दोनों माध्यमों से देख व सुन सकता है और इसी के आधार पर पैट्रोलिंग टीम उनकी मदद के लिए रेस्पोंड करेगी। ये व्यवस्था चौबीसों घंटे काम करती है जो रेडियो कम्युनिकेशन पर आधारित है। यानि मोबाईल नेटवर्क फेल होने की सूरत में भी नेटवर्क काम करता रहेगा। इसी एमर्जेंसी इग्रेस डोर से एस्केप टनल का रास्ता भी खुलता है जो मुख्य टनल के ठीक नीचे बनी है।

इतना ही नहीं मुख्य टनल के क्षतिग्रस्त होने की सूरत में एस्केप टनल फंसे हुए लोगों को निकालने का वैकल्पिक माध्यम बनाया गया है। जिसका एक छोर नॉर्थ जबकि दूसरा साउथ पोर्टल में खुलता है। एस्केप टनल में बाकायदा हरेक एमर्जेंसी इग्रेस डोर के नीचे दोनों छोरों की दूरी दर्शाने वाले बोर्ड लगाए गए हैं। व्यक्ति जान सकता है कि किस छोर की दूरी यहां से कितनी है। स्वचालित उपकरणों से वैन्टीलेशन भी बरकरार रहता है।

मुख्य टनल में आपदा के दौरान अग्नि शमन के लिए भी बेहतरीन सुविधा जोड़ी गई है। फायर फाइटिंग सिस्टम में स्वचालित प्रेशर रहने से व्यक्ति वाहन में आग लगने की परिस्थिति में स्वयं भी आग बुझा सकता है। सीसीटीवी कैमरों से निगरानी बनी रहती है। इसके अलावा जगह-जगह पर गति सीमा दर्शाने वाले डिजिटल बोर्ड वाहन चालकों को स्पीड नियंत्रित रखने की चेतावनी देते हैं।

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