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ऊनाः त्यूड़ी में कोर्ट के अदेश पर रेलवे की संपत्ति की नीलामी, 22 कनाल भूमि की 16 लाख रुपये में नीलाम

<p>जिला ऊना के स्थानीय अतिरिक्त जज की अदालत के आदेश पर बुधवार को ऊना जिले के त्यूड़ी में रेलवे की संपत्ति की नीलामी की गई। इसमें रेलवे की भूमि का वह हिस्&zwj;सा है। जिसमें रेलवे ट्रैक बना है और कुछ रेलवे की भूमि का ट्रैक के साथ का खाली हिस्सा है। इसके अलावा रेलवे लाइन की दोनों ओर की यह भूमि शामिल है।</p>

<p>करीब 22 कनाल भूमि की नीलामी हुई है। जिसमें करीब पंद्रह लोग पहुंचे थे। नीलामी 10 लाख से शुरु होने पर 12 लोगों ने बोली में हिस्सा नहीं लिया। तीन लोगों द्वारा हिस्सा लिया गया। इसमें हरि मोहन शर्मा द्वारा सबसे अधिक 16 लाख 50 हज़ार रुपये बोली दी गई। स्वयं तहसीलदार ऊना विजय राय इस कार्रवाई को पूरा कराने पहुंचे थे।</p>

<p>इसमें 5 मार्च को इसके पहले चरण की नीलामी हुई थी। उसमें 21 बोली लगाने वाले पहुंचे थे। इसमें उच्चतम बोली 13 लाख रुपये लगी थी। फरवरी में राजस्व महकमे की ओर से इसके लिए मुनादी करवाई गई थी कि राजस्व महकमा रेलवे की भूमि की नीलामी करवाएगा। यह नीलामी भी पटवार कार्यालय पनोह में रखी गई थी।</p>

<p>यहां इस भूमि की न्यूनतम बोली दस लाख से शुरू हुई थी। उस भूमि की उच्चतम बोली देने वाले त्यूड़ी गांव के राजेश कुमार थे। इसकी रिपोर्ट इसी महीने अंत तक राजस्व महकमा अदालत में पेश करेगा। इससे पहले 28 फरवरी को ऊना रेलवे स्टेशन के करीब अदालत के आदेश पर प्रभावितों की बकायेदारी के कारण राजस्व महकमे ने रेलवे की भूमि की नीलामी करवाई थी। यह नीलामी अजनोली गांव के संजीव कुमार ने सबसे अधिक बोली 17 लाख रुपये में उठाई थी, इसमें करीब रेलवे की 58 कनाल भूमि थी।</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(5725).jpeg” style=”height:340px; width:640px” /></p>

<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>क्या था मामला</strong></span></p>

<p>जिले में रेलवे लाइन से प्रभावित कई गांवों के लोगों की करीब दो दशक पहले भूमि रेलवे की ओर से अधिग्रहित की गई थी। इस बीच कई लोगों ने रेलवे पर उचित मुआवजा राशि अदा न किए जाने पर अदालत में अपील कर दी थी। निचली अदालत ने निर्णय लोगों के हक में दिया था। रेलवे ने इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दे डाली। उच्च न्यायालय में भी अब दिलवां, ठठल और त्यूड़ी के प्रभावित लोगों के हक में निर्णय को बरकरार रखा था।</p>

<p>एक निर्णय 2015 का है जबकि दो निर्णय साल 2018 के हैं। इन लोगों की मुआवजा राशि जो करीब साठ लाख बनती है। उसकी अदायगी नहीं हो पाई। अदालत ने इस पर सख्ती दिखाते हुए राजस्व महकमे से रेलवे की संपत्ति को नीलाम करके प्रभावितों के मुआवजा राशि अदा करने को कहा है।</p>

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