<p>राज्य सरकार ने सड़क मार्गों की टायरिंग के डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड पर अफसरों को जवाबदेह बनाया है। टायरिंग के उखड़ने पर लोक निर्माण विभाग और नेशनल हाई-वे के इंजीनियरों की सैलरी से दोबारा कोलतार बिछेगा। इसके अलावा टायरिंग की परत 5 एमएम मोटी करने के निर्देश दिए गए है। प्रदेश सरकार ने कड़े आदेश पारित किए है कि पेबर मशीन के साथ ही कोलतार बिछाई जाए।</p>
<p>सड़कों की खस्ताहालत और बिछाने के तुरंत बाद टायरिंग के उखड़ने पर जयराम सरकार ने उक्त कड़े फैसले लिए हैं। सरकार ने लोक निर्माण विभाग और नेशनल हाई-वे को टायरिंग के लिए नई गाइडलाइंस जारी की है। इसमें कहा गया है कि हर एक निर्माण कार्य के लिए डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड की शर्त लागू रहती है।</p>
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<p>सड़कों में टायरिंग बिछाने के लिए आयोजित की जाने वाली टेंडर प्रक्रिया में इसका कड़ा प्रावधान है। बावजूद इसके टायरिंग के तुरंत बाद ठेकेदार को बिल बना कर भुगतान कर दिया जाता है। कुछ ही समय में टायरिंग के उखड़ने पर डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड की शर्तों को लागू करना विभाग जरूरी नहीं समझता। नए दिशा-निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि इस समयावधि के बीच टायरिंग के उखड़ने पर संबंधित फर्म को सड़क मार्ग की मरम्मत करनी होगी।</p>
<p>इस शर्त को लागू न करवाने पर विभागीय अधिकारियों के वेतन से कटौती कर सड़कों में टायरिंग होगी। लिहाजा विभाग की जवाबदेही तय की गई है कि लाइबिलिटी पीरियड में संबंधित फर्म से ही टायरिंग के उखड़ने पर दोबारा काम करवाया जाए। क्वालिटी कंट्रोल विंग से प्राप्त फीडबैक के अनुसार प्रदेश की सड़कों में वैज्ञानिक ढंग से कोलतार नहीं बिछाई जाती है। इसके लिए पेबर का प्रयोग नहीं होता है। इस कारण टायरिंग निर्धारित समयावधि से पहले उखड़ना शुरू हो जाती है।</p>
<p>सरकार ने विभाग को दो टूक कहा है कि बिना पेबर के किसी भी सड़क की टायरिंग न करवाई जाए। इस दिशा-निर्देश की पालना न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके अलावा कोलतार की परत मोटी करने को कहा है। वर्तमान में नए सड़क मार्गों में 20 एमएम कोलतार बिछाई जा रही है। सरकार ने कहा है कि टायरिंग की लाइफ लाइन बढ़ाने के लिए अब टायरिंग की परत 25 एमएम मोटी की जाए।</p>
<p>उल्लेखनीय है कि बरसात से पहले प्रदेश भर में टायरिंग का काम युद्ध स्तर पर चला है। नेशनल हाई-वे से लेकर ग्रामीण सड़कों तक हजारों सड़कों मार्गों पर टायरिंग बिछाई जा रही है। इसकी गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए राज्य सरकार ने कड़े निर्देश दिए है। इसके अलावा सीएम ऑफिस में भी सड़क मार्गों की गुणवत्ता जांचने के लिए क्वालिटी कंट्रोल विंग गठित किया जा रहा है।</p>
<p>इसी कड़ी में नेशनल हाई-वे और लोक निर्माण विभाग के सभी चीफ इंजीनियर को निर्देश जारी किए गए हैं कि टायरिंग के कार्य के लिए जारी गाइड लाइन के आधार पर वर्किंग करवाई जाए।</p>
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