<p>कोरोना काल से देश और हिमाचल प्रदेश में जहां हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। वहीं, हिमाचल की कांगड़ा-टी का जमकर कारोबार हुआ। चाय उद्योग की बात की जाए तो इस उद्योग को कोरोना काल का लाभ मिला है। सुनने में भले ही अटपटा लगे, लेकिन यह सच है। क्योंकि असम और दार्जिलिंग में लॉकडाउन लंबा चलने के चलते वहां उत्पादन प्रभावित हुआ है। जबकि कांगड़ा घाटी के धर्मशाला चाय उद्योग की बात की जाए तो इन्हें समय पर अनुमति मिलने के साथ समय पर कार्य शुरू हुआ और चाय उद्योग को फायदा पहुंचा है।</p>
<p>इतना ही नहीं, पिछले साल की अपेक्षा इस साल प्रति किलोग्राम चाय का रेट भी 50 रुपये अधिक मिल रहा है। विदेशों में जर्मनी और नीदरलैंड में 3 हजार किलोग्राम चाय भेजी गई है। इस साल धर्मशाला चाय उद्योग का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा 15 हजार किलोग्राम अधिक है। पिछले साल अब तक धर्मशाला चाय उद्योग ने 1.37 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन हुआ था, जबकि इस साल अब तक 1.52 लाख किलोग्राम चाय उत्पादित की जा चुकी है और सीजन खत्म होने तक प्रबंधन को 1.65 लाख किलोग्राम उत्पादन की उम्मीद है।</p>
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<p>चाय उद्योग प्रबंधन की मानें तो सितंबर माह से बारिशें बंद हैं, ऐसे में यदि बारिशें होती रहती तो यही उत्पादन 1.85 लाख किलोग्राम तक पहुंच सकता था। गौरतलब है कि कांगड़ा घाटी में उत्पादित होने वाली चाय की देश के विभिन्न राज्यों सहित विदेशों में भी खासी मांग रहती है। हालांकि धर्मशाला चाय उद्योग प्रबंधन कोरोना की वजह से लॉकडाउन चिंतित था। लेकिन समय पर अनुमति मिलने से चाय उद्योग को लाभ पहुंचा है। यूं कहें कि कांगड़ा टी देश और विदेश में काफी प्रसिद्ध है। यहां तक कि तर्क दिया गया था कि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए कांगड़ा टी असरदार है।</p>
<p>धर्मशाला चाय उद्योग के प्रबंधक अमनपाल सिंह ने बताया कि कोरोना काल का नुकसान के बजाय फायदा हुआ है। क्योंकि उत्पादन समय पर शुरू हो गया था। पिछले सालष की अपेक्षा प्रति किलोग्राम रेट भी 50 रुपये अधिक मिल रहा है। वहीं, इस बार बरसात में बारिश अच्छी होने से उत्पादन भी अधिक हुआ है। सितंबर के मध्य से बारिश न होने की वजह से कुछ कमी आई है। लेकिन फिर भी उत्पादन पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक है और यदि बारिशें होती रहती तो उत्पादन में और इजाफा हो सकता था।</p>
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