हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला के छराबड़ा में ओबरॉय ग्रुप के होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल में सरकार के कब्जे को गलत ठहराते हुए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर स्टे लगा दिया है। सरकार ने शनिवार सुबह ही हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए होटल पर अपना कब्ज़ा कर एडमिस्ट्रेटर को बैठा दिया था लेकिन मामले को लेकर शनिवार दोपहर बाद हाई कोर्ट ने कब्जे पर स्टे लगाते हुए होटल को यथावत रखने के आदेश दिए हैं।
दरअसल हाई कोर्ट के आदेशों को समझने में सरकार से बड़ी चूक हुई और होटल पर कब्ज़ा कर दिया। जिसके बाद शनिवार को ओबरॉय ग्रुप की तरफ से कोर्ट के ध्यान में मामला लाया गया जिसमें कोर्ट ने साफ किया कि सरकार ने गलत तरीके से होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल में कब्जा किया है जबिक कोर्ट के ऐसी कोई भी आदेश नहीं थे।
ओबरॉय ग्रुप की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट राकेश्वर लाल सूद ने बताया कि सरकार ने गलत तरीके से होटल पर कब्ज़ा करने की कोशिश की है जिस पर स्टे लगा दिया है अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी जबकि 15 दिसंबर को होटल को अवार्ड करने को लेकर कोर्ट निर्णय लेगा।
वहीं सरकार में मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार ने होटल पर कब्जा किया है।हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ये हिमाचल प्रदेश टूरिज्म की प्रॉपर्टी थी ओबरॉय ग्रुप के साथ समझोते के मुताबिक सरकार का 120 करोड़ रुपया नही लौटाया जो करार हुआ था इसलिए कोर्ट के आदेश के मुताबिक हमने इसको कब्जे में लिया है। शनिवार के आदेशों की उनको जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि लगभग 23 साल से होटल को लेकर सरकार से विवाद चल रहा है। पहले होटल को लेकर कोई चार्ज सरकार नहीं ले रहीं थी लेकिन अब लीज पर प्रॉपर्टी देने का निर्णय लिया गया है और रेंट आर्बिटेटर ने तय किया है जिसे देने के लिए कम्पनी तैयार है लेकिन होटल को अवार्ड करने का अंतिम निर्णय कोर्ट लेगा।