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मछली खाने के शौकीनों के लिए बुरी खबर, अब दो महीनों तक नहीं चख सकेंगे स्वाद

<p>अगर आप मछली खाने के शौकीन हैं तो आपके लिए एक बुरी खबर है, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जलाशयों में 1 जून से लेकर 31 जुलाई तक करीब 2 महीने के लिए मछली आखेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। क्योंकि यह समय मछली के प्रजनन के लिए होता है। यह जानकारी हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग के डायरेक्टर सतपाल मेहता ने दी है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जलाशयों जिनमें गोविंद सागर झील, पोंग डैम, चमेरा, रणजीत सागर डैम, कोल डैम में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है।</p>

<p>हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग के डायरेक्टर सतपाल मेहता ने कहा कि विभाग दो माह के लिए मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है क्योंकि इस अवधि में अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं जिससे इन जलों में स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>मछुआरों को सरकार से मिलेगी मदद</strong></span></p>

<p>प्रदेश के जलाशयों में मत्स्य धन संरक्षण के लिए विशेष कर्मचारी बल तैनात कर कैंप लगाये जाते हैं जिससे कर्मचारी जल एवं सड़क, दोनों मार्गों से गश्त कर मत्स्य धन की सुरक्षा करते हैं। बंद सीजन अवधि में प्रदेश के जलाश्यों में कार्यरत मछुआरों को &lsquo;बंद सीजन राहत भत्ता योजना&rsquo; के अन्तर्गत दो माह में तीन हजार रुपए प्रति मछुआरा सहायता राशि प्रदान की जायेगी।</p>

<p><strong><span style=”color:#c0392b”>इन मछली बीज का होगा संग्रहण</span></strong></p>

<p>सतपाल मेहता ने बताया कि इस साल विभाग जलाशयों में भारतीय मेजर कार्प एवं सिल्वर कार्प प्रजाति का 70 एमएम आकार का मछली बीज संग्रहण करेगा। उन्होंने बताया कि बंद सीजन अवधि में कोई अवैध मत्स्य शिकार को अंजाम न दे इसके लिए विभाग ने व्यापक प्रबंध किये हैं जिसमें फील्ड लेवल के कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी गई हैं।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>इन जगहों पर इतने कैंप लगाएगा मत्स्य विभाग</strong></span></p>

<p>मत्स्य शिकार रोकने के लिए 16 कैंप पौंग जलाश्य में, गोबिंद सागर में 16 कैंप, चमेरा में 1 कैंप, रणजीत सागर डैम में 1 और कोल डैम में 3 कैंप लगाये जायेंगे। विभाग के कर्मचारी इन कैंपों में रह कर दिन-रात अवैध मत्स्य शिकार करने वालों पर नजर रखेंगे। इसके अतिरिक्त प्रत्येक जलाशय में उड़नदस्ता निदेशालय स्तर पर, एक राज्य स्तरीय उड़नदस्ता भी बनाया जाएगा।</p>

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