<p>केंद्र की मोदी सरकार जहां 2022 तक किसानों की आय को दुगना करने का दम भरती है तो वहीं आजकल प्रदेश के किसान पीले रतूआ की मार झेलने को मजबूर हैं। बता दें कि नैनादेवी से स्वारघाट और भाखड़ा क्षेत्र तक कई ऐसी पंचायते है जहां गेंहू की फसल को पीले रतूआ की नजर लग गयी है। जिससे ना केवल किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है बल्कि उन्हें अपने परिवार के भरन पोषण की भी चिंता सताने लगी है।</p>
<p>स्थानीय किसानों का कहना है कि बीते दिनों हुई भारी बारिश और फिर कोहरे की सीधी मार उनकी गेंहू की फसल पर पड़ी है। जिसके चलते उनकी फसल पर जगह जगह पीला रेसा चढ़ गया है जबकि उन्होंने दवाई का छिड़काव भी किया था। अपनी फसल पर पीले रातूआ को देख अब स्थानीय किसान प्रदेश सरकार से फसल के नुकसान की एवज में अनुदान राशि दी जाने की अपील करने लगे हैं।</p>
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<p>वहीं, पीले रतूआ की समस्या के सम्बंध में जब कृषि विभाग बिलासपुर के उप निदेशक कुलदीप पटियाल से पूछा गया तो उन्होंने माना कि बारिश और कोहरे का सीधा असर किसानों की फसलों पर पड़ा है और कई पंचायतों से पीले रतूआ की शिकायतें आ रही हैं। साथ ही उन्होंने पीले रतूआ से निपटने के लिए पूरे जिले में विभाग द्वारा विकास खंड से लेकर ग्रामीण इलाकों ने खोले गए कार्यालयों में 434 लीटर प्रोपिकाना जोल दवाई उपलब्ध करवाने की बात कहते हुए प्रत्येक दो- तीन वर्षों में गेंहू की किस्म को बदल कर खेती करने और दवाई का छिड़काव करने की अपील किसानों से की है ताकि पीले रतूआ से उनकी फसल बच सके।</p>
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