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किन्नौर में चली जैव विविधता संरक्षण की पाठशाला

desk |

-जाइका वानिकी परियोजना के तहत जिले में रोपे 105 हेक्टेयर भूमि पर चिलगोजे के पौधे
-निगुलसरी में आयोजित कार्यशाला में बोले डा. एसके काप्टा

जिला किन्नौर में जैव विविधता संरक्षण के लिए निगुलसरी में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जाइका वानिकी परियोजना के जैव विविधता विशेषज्ञ डा. एसके काप्टा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि जिला किन्नौर में जाइका वानिकी परियोजना और वन विभाग ने 105 हेक्टेयर भूमि पर चिलगोजा के पौधे रोपे गए।

यहीं से साबित होता है कि इस जिले में जैव विविधता के संरक्षण के लिए बेहतरीन कार्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जाइका वानिकी परियोजना इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। डा. एसके काप्टा ने कहा किन्नौर के ऐसे क्षेत्र जहां-जहां पर चिलगोजे के पौधे रोपे जाते हैं वहां के लिए जाइका वानिकी परियोजना पौधे वितरित कर रही है। उन्होंने यहां मौजूद स्वयं सहायता समूहों को जैव विविधता के उचित संरक्षण एवं संवर्धन की जानकारी दी।

किन्नौर वन मंडल के वन परिक्षेत्र भावानगर, निचार, कटगांव, मूलिंग व पूह में कुल 22 ग्रामीण वन विकास समितियां बन चुकी हैं। इन समितियों के माध्यम से परियोजना द्वारा पौधरोपण, जैव विविधता प्रबंधन व ग्रामीण ढांचागत सुधार के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कार्यशाला के दौरान सेवानिवृत डीएफओ सीएम शर्मा ने वन मंडल किन्नौर में जाइका वानिकी परियोजना के माध्यम से चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी।

पीएमयू शिमला से विषय वस्तु विशेषज्ञ रीना शर्मा ने यहां उपस्थित स्वयं सहायता समूहों से संबंधित विभिन्न योजनाओं के बारे लोगों को जानकारी दी। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को हथकर्घा, खाद्य प्रसंस्करण, केचुआ खाद तैयार करना, सिलाई-कटाई एवं बुनाई, आचार तैयार कर अपनी आजीविका में और सुधार करने के तरीके बताए। इस अवसर पर विषय वस्तु विशेषज्ञ राधिका, एफटीयू को-ऑर्डिनेटर प्रियंका नेगी समेत सभी चार वन परिक्षेत्र के प्रभारी भी मौजूद रहे।