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यहां माइनस 35 डिग्री में होती है पढ़ाई, देश-विदेश के 140 छात्र कर रहे विभिन्न विषयों पर रिसर्च

<p>देश में एक ऐसी जगह भी है, जहां छात्र माइनस 35 डिग्री में भी पढ़ाई कर रहे हैं। यहां देश-विदेश से आए छात्र जहां बौद्ध धर्म का बारिकी से अध्ययन कर रहे हैं, वहीं बौद्ध धर्म से जुड़े हुए विषयों पर भी शोध कार्य करने में जुटे हुए हैं। यहां हम बात कर रहे हैं स्पीति घाटी के &lsquo;की मोनेस्ट्री&rsquo; की। यहां इन दिनों तापमान माइनस 30 और 35 डिग्री तक पहुंच चुका है। ऐसे में उक्त मोनेस्ट्री में देश-विदेश से शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे छात्र सबका ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहे हैं।</p>

<p>लाहुल-स्पीति के काजा से 12 किलोमीटर दूर &lsquo;की मोनेस्ट्री&rsquo; किलानुमा शैली में बनी है। यह मोनेस्ट्री करीब 1000 साल पुरानी है। बौद्ध-भिक्षुओं का यह मठ कई आक्रमणकारियों के हमले झेलने के साथ-साथ कई प्राकृतिक आपदाएं झेल चुका है। इस मोनेस्ट्री में देश ही नहीं, विदेश के भी छात्र पढ़ाई करने आते हैं।</p>

<p>करीब 14 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित इस मोनेस्ट्री में ऑक्सीजन की कमी होने और सर्दियों में तापमान माइनस 35 डिग्री तक जाने के बावजूद बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण कर रहे बौद्ध भिक्षु यहीं रह कर पढ़ाई करते हैं। सर्दियों के चलते इन दिनों यहां पर पर्यटकों की भी खासी भीड़ देखने को मिल रही है। धर्मगुरु दलाईलामा वर्ष 2000 में यहां पर कालचक्र के दौरान प्रवचन दे चुके हैं। &nbsp;</p>

<p>हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के अलावा हिमाचल के कई मंत्री और पूर्व मंत्री भी यहां आ चुके हैं। मोनेस्ट्री को देखने के लिए अक्तूबर माह में पर्यटक यहां अधिक संख्या में आते हैं। इतिहास और संस्कृति को संजोए यह मोनेस्ट्री आज भी कई ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए हुए है। उक्त मोनेस्ट्री में कई साल गुजार चुके छेदिन लुनडूप ने बताया कि इसका आर्किटेक्चर 14वीं शताब्दी का है और यहां पर तिब्बत से लाई गई कई ऐतिहासिक पुस्तकें और पेंटिंग्स और कपड़े से बनीं पेंटिंग्स मौजूद हैं। मोनेस्ट्री में सर्दियों के वक्त तापमान माइनस 35 डिग्री तक पहुंच जाता है। इसके बावजूद यहां पढ़ रहे 140 बौद्ध भिक्षु कहीं नहीं जाते हैं। वे यहीं रहकर पढ़ाई करते हैं।</p>

<p>मोनेस्ट्री में बौद्ध धर्म की पढ़ाई के साथ-साथ प्रदेश शिक्षा बोर्ड के विषय भी पढ़ाए जाते हैं। यहां की प्रथा है कि खाने के वक्त बच्चों को शंखनाद करके बुलाया जाता है। हिमालयन बौद्ध संस्कृति सभा के मुख्य संरक्षक रवि ठाकुर ने बताया कि स्पीति घाटी में मौजूद की मोनेस्ट्री आज भी अपने आप में इतिहास को संजोए हुए है। उन्होंने बताया कि मोनेस्ट्री में देश-विदेश से करीब 140 छात्र बोद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहन कर रहे हैं और यहां पर विभिन्न विषयों पर शोध भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि घाटी का तापमान माइनस 35 डिग्री पर चलने जाने के बावजूद ये छात्र अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि की मोनेस्ट्री को हर साल देश-विदेश से देखने के लिए हजारों सैलानी पहुंचते हैं।</p>

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