Categories: हिमाचल

कई बीमारियों में रामबाण है बुरांश का फूल, बाजारों में बिक रहा हाथों-हाथ

<p>प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमाचल प्रदेश अपने हरे-भरे जंगलों, कलकल बहते नदी-नालों, ब़र्फ से लदे पहाड़ों और बेशक़ीमती जड़ी-बूटियों की वजह से विश्व के मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान रखता है। हिमाचल के जंगलों में कई ऐसे फल-फूल और जड़ी-बूटियां मौजूद हैं, जो अपने विशिष्ट गुणों के कारण कई बिमारियों में रामबाण का काम करते हैं। ऐसे ही विशिष्ट गुणों से भरपूर है-बुरांश के फूल, जो जनवरी माह के अंत तक जंगलों में खिलना आरम्भ हो जाते हैं। इसके विशिष्ट गुणों के चलते लोग साल भर इसके खिलने का इन्तज़ार करते हैं। इसकी लोकप्रियता का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बाज़ार में आते ही यह हाथों-हाथ बिक जाता है।</p>

<p>हिमाचल के पहाड़ों पर आजकल खिले &lsquo;बुरांश के फूल&rsquo; स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। मनमोहक, आकर्षक एवं क़ुदरती गुणों से भरे हुए इन फूलों को प्रदेश में आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग अपने-अपने कैमरों में क़ैद कर रहे हैं। भले ही बुरांश के ये फूल कुछ दिनों बाद जंगल से अपना डेरा-डंडा उठा लें लेकिन लोगों की स्मृतियों और कैमरों में क़ैद होने के बाद ताउम्र ताज़ा रहेंगे। &nbsp;</p>

<p>बुरांश के पेड़ समुद्रतल तल से लगभग 1500 मीटर से 3600 मीटर तक की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। यह वृक्ष मुख्यतः ढलानदार जमीन पर पाए जाते हैं। बुरांश की विशेषता है कि वे देखने में जितने सुन्दर होते हैं, उतने ही स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, मंडी, शिमला, चंबा और सिरमौर ज़िलों में बुरांश के पेड़ अधिक संख्या में पाए जाते हैं। स्थानीयता के अनुसार इन फूलों को विभिन्न ज़िलों में आमतौर पर बुरांश, ब्रास, बुरस या बराह के फूल के नाम से जाना जाता है। विषेषज्ञों के अनुसार लाल रंग वाले बुरांश के फूलों का औषधीय महत्व अधिक होता है। कई शोधों के अनुसार बुरांश एन्टी डायबिटिक, एन्टी इन्फ्लामेट्री और एन्टी बैक्टिरियल गुणों से भरपूर होता है। इस तरह इन फूलों को बेहद स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। लोग इन्हें बवासीर, लीवर, किडनी रोग, खूनी दस्त, बुखार इत्यादि के दौरान प्रयोग में लाते हैं। कई लोग इनकी पंखुड़ियों को सुखाने के बाद इन्हें साल भर प्रयोग में लाते हैं।</p>

<p>ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां वृद्ध आज भी बुरांश के मौसम में इसकी चटनी बनवाना नहीं भूलते, वहीं, युवाओं में भी यह चटनी इतनी ही प्रिय है। इसके अलावा अब आधुनिक फल विधायन के माध्यम से बुरांश के फूलों का जूस बनाया जा रहा है। बुरांश का जूस बाज़ार में साल भर आसानी से उपलब्ध रहता है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता का द्योतक है। जहां, इन फूलों का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है, वहीं यह कई सप्ताह तक स्थानीय लोगों की अतिरिक्त आय के साधन के रूप में उनकी आर्थिकी को सम्बल प्रदान करता है।</p>

Samachar First

Recent Posts

ससुर की मौत की खबर सुन ससुराल जा रहे दामाद की खाई में लुढ़कने से मौत

पधर(मंडी)। जाता वर्ष 2024 द्रंग के इलाका दुंधा के ग्रामीणों को गहरे जख्म दे गया।…

5 hours ago

हिल्‍स क्‍वीन शिमला के सार्वजनिक शौचालयों में यूरीन के लिए लगेंगे पांच रुपये

Shimla public toilet fee implementation : राजधानी शिमला में अब सार्वजनिक शौचालयों के इस्तेमाल के…

8 hours ago

ईडी के सहायक निदेशक पर 25 करोड़ की रिश्वत के आरोप

Himachal Scholarship Scam Bribery: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित 181 करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले से जुड़े…

8 hours ago

हिमाचल प्रदेश में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 4 मार्च से शुरू होंगी

  HPBOSE 10th and 12th board exams 2025: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) ने…

9 hours ago

मंदिर पर कब्जे को लेकर दो गुटों के बीच हिंसक झड़प, पांच घायल, क्रास एफआईआर

ऊना जिले के अंब उपमंडल के सूरी में मंदिर पर कब्जे को लेकर दो गुटों…

9 hours ago

100 किसानों से 378 क्विंटल गोबर खरीदा

Himachal Cow Dung Purchase Scheme: हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी दस गारंटियों में से एक,…

9 hours ago