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‘उपचुनाव तो एक झांकी है, करुणामूलक आश्रितों की सुध लो वरना 2022 अभी बाकी है’

बीरबल शर्मा |

हिमाचल प्रदेश में 4 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। चारों ही सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं। भाजपा की हार पर हिमाचल करूणामूलक संघ की प्रतिक्रिया सामने आई है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि उपचुनावों में सरकार इन नतीजों को देखकर अभी भी इन करुणामूलक आश्रितों की तरफ नहीं देखती तो 2022 में इसी तरह सरकार को वोट के माध्यम से जवाब दिया जाएगा।

उन्होंने काह कि उपचुनावों से पहले ऐसा कोई जनमंच नहीं रहा जहां पर यह करुणामूलक परिवार मुख्यमंत्री और मंत्रियों से ना मिले हों और उनके सामने नौकरी की गुहार ना लगाई हो। सरकार ने इनकी अनदेखी के कारण उपचुनावों में इसका नतीजा उन्हें भुगतना पड़ा सरकार के अड़ियल रवैय के कारण उपचुनावों में करुणामूलक परिवारों का वोट के माध्यम से जवाब दिया। अजय कुमार का कहना है कि अभी भी सरकार इन परिवारों की पीड़ा को समझे और करूणामुलक नौकरी बहाली करें और आगामी कैबिनेट में भी इस मुददे का हल करें |

अजय कुमार ने कहा कि करूणामुलक संघ 97 दिनों से शिमला में कालीबाड़ी मंदिर के समीप वर्षा शालिका में क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठा है। भरी बरसात ठंड के माहौल में 97 दिनों से वर्षा शालिका में गुजर चुके हैं पर प्रदेश सरकार से कोई भी इनका हाल-चाल जानने नहीं आया है न ही किसी ने सुध ली है। सरकारी नौकरी देने के मामलों पर अभी सरकार कोई अंतिम फैसला नही ले पाई है जबकि सरकार के पास विभिन्न विभागों में 4500 से ज्यादा मामले हैं प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कई विभागों में कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने के बाद आश्रित परिवार दर दर की ठोकरें खाने को मजबुर है । हिमाचल में इस तरह के सेंकडों मामले हैं। 15 साल बीत जाने के बाद भी आश्रितों को नोकरी नहीं मिल पाई है। हर रोज कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन अशवाशनों के सिवा आज दिन तक कुछ हाथ नहीं लगा है। करूणामुलक आश्रितों का कहना है कि उनके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी नहीं करता है। इनके परिवारों की आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं है। सभी करूणामुलक आश्रितों ने प्रशासन व प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि आगामी कैबिनेट में करूणामुलक नौकरीयों पर सरकार उचित फैसला लें ।