कहते हैं इस दुनिया में कुछ भी करना नामुमकिन नहीं है। अगर अपके अंदर कुछ करने की जिद है तो उसे पूरा करने में भगवान भी आपकी मदद करता है। ऐसी ही कहानी है कैप्टन संदीप की जो कि जिन्होंने महज 48 दिनों के अंदर ही दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट पर पहुंच कर तिरंगे को फहराया।
कैप्टन संदीप ने अपने करनामें से दुनिया भर में देश और हिमाचल का नाम रोशन किया है। उन्होंने 4 अप्रैल, 2018 से एवरेस्ट पर चढ़ाई करनी शुरू की और 21 मई को सुबह उन्होंने यह मुकाम हासिल किया। संदीप सोलन का एवरेस्ट को फतह करने का यह पहली काशिश नहीं थी इससे पहले भी वह एवरेस्ट को फतह करने की कोशिश कर चुके हैं।
नेपाल भूकंप त्रासदी के दौरान एवरेस्ट पर देखा मौत का मंजर
बता दें कि कैप्टन संदीप ने अपनी पहली कोशिश में मौत का तांडव देखा लेकिन, कैप्टन संदीप डरे नहीं और अपनी मंजिल पाने के लिए उन्होंने दूसरी बार प्रयास किया और इस बार वह सफल रहे। इससे पहले संदीप उस समय एवरेस्ट पर चढ़ाई कर रहे थे जब नेपाल भूकंप त्रासदी हुई थी। इस दौरान संदीप 22 हजार फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच सके थे।
भूकंप के आने से चोटी हिलने लगी थी और ग्लेशियरों में पड़ती दरारों के अलावा हिमस्खलन ने उनका सामना मौत से कराया। लेकिन कैप्टन संदीप का हौसला भूकंप भी नहीं डिगा सका और मौत का खौफ भी उन्हें दुनिया की सबसे उंची चोटी के शिखर पर पहुंचने से नहीं रोक सका। इसके बाद अब उनका लक्ष्य पृथ्वी पर बसे 7 महाद्वीपों में सबसे ऊंची चोटियों को फतह करना है।