सीमेंट के दामों में बार-बार हो रही बढ़ोतरी के बाद किरकिरी झेल रही प्रदेश सरकार ने इस पर लगाम लगाने की कवायद शुरू कर दी है। हाल ही में दाम बढ़ने के बाद सरकार की ओर गठित विभिन्न विभागों के अधिकारियों की कमेटी ने तीन दिन तक प्रदेश के सीमेंट प्लांटों का दौरा किया।
इस दौरान कमेटी ने खनन पट्टे, पर्यावरण, खनिज दोहन, दस्तावेजों आदि की छानबीन की। सोमवार को कमेटी के सदस्यों की सचिवालय में अहम बैठक बुलाई गई। कंपनियों के तर्कों और वास्तविक स्थिति का निरीक्षण करने के बाद अब प्रदेश सरकार इस पर कोई फैसला लेगी। कमेटी शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंपेगी।
वर्तमान में राज्य सरकार का सीमेंट के दाम तय करने के लिए कोई नियंत्रण नहीं है। इसका फायदा उठाकर सीमेंट उद्योग मालिक बाहरी राज्यों से महंगा सीमेंट हिमाचल में बेच रहे हैं। सरकार ने सीमेंट उद्योग प्रबंधन से दाम कम करने के लिए दबाव भी डाला गया था, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। दाम बढ़ने के पीछे उद्योग दलील देते रहे हैं कि कच्चा माल महंगा मिल रहा है और इस कारण बार-बार सीमेंट महंगा बेचना पड़ रहा है। कांग्रेस सरकार के सत्ता पर रहते हुए जो सीमेंट का बैग 250 रुपये में था, वही भाजपा सरकार के चार साल बाद 420 रुपये तक उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है।
सीमेंट उद्योग प्रबंधन ने जब सीमेंट के दाम घटाने की बात नहीं मानी तो सरकार ने उद्योग विभाग, खनन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य विभागों के अधिकारियों की कमेटी बनाकर सीमेंट उद्योगों का जायजा लेने भेजी। उधर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री लंबे समय से राज्य के सीमेंट उद्योगों पर नियंत्रण रखने का मामला जयराम सरकार से उठाते रहे हैं ताकि सीमेंट के दाम कम हो सकें।
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