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आंगनबाडी वर्करों की मांगों को अनदेखा कर रही केंद्र और प्रदेश सरकार: माकपा

पी. चंद, शिमला |

शिमला में कामरेड एआर सिंधु ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार आंगनबाड़ी को बंद करने के लिए साजिश के तहत लगातार आंगनवाडी को बजट में कटौती कर रही है। आंगनबाडी केन्द्रों में काम करने वाली महिलाएं आज खुद कुपोषण का शिकार होने को मजबूर हैं। सिन्धु ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार लगातार जनविरोधी निर्णय ले रही है। आंगनबाड़ी वर्करों के मानदेय में 1500 रुपये और हेल्परों के मानदेय में 750 रुपये बढ़ोतरी ऊंट के मुंह में जीरा डालने जैसा है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी से ली जाने वाली 6 मुख्य सेवाओं को धीरे-धीरे खत्म करके उनके रोजगार पर हमला किया जा रहा है लेकिन मोदी सरकार के इन मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।

वहीं, आंगनबाड़ी वर्कर्ज़ एवं हेल्परज़ यूनियन की प्रदेश महासचिव राजकुमारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी हाल ही में सरकारी स्कुलो में प्री नर्सरी क्लासे शुरू करने का फैसला लिया है जिससे प्रदेश की आंगनबाडी केन्द्रों में बच्चों की संख्या पर असर पड़ा है। सरकार ने प्राइवेट स्कुलो में पढ़ रहे बच्चो को सरकारी स्कुल में लेन के लिए ये योजना शुरू की है लेकिन इसका असर आंगनबाडी केन्द्रों पर पड़ा है। जिससे सरकार की आंगनबाडी को बंद करने की मंशा का पता चलता है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि हरियाणा व केरल की तर्ज़ पर हिमाचल में आंगनबाड़ी कर्मियों को 12 हज़ार रुपये वेतन दिया जाए और अगर आंगनबाड़ी कर्मियों की मांगें शीघ्र पूरी न की गईं तो आंदोलन को तेज होगा।

सम्मलेन में आंगनबाड़ी कर्मियों के खिलाफ केंद्र सरकार के रवैये को लेकर यूनियन ने देशव्यापी आंदोलन का फैसला लिया है । जिसके तहत 8-9 जनवरी 2019 को दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का निर्णय लिया है। इन दोनों दिनों पूरे देश के लाखों आंगनबाड़ी केंद्र बन्द रहेंगे और 26 लाख आंगनबाड़ी कर्मी अपनी मागों को लेकर सड़कों पर उतरेंगे।