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संभल जाओ मौका है, वक़्त रहते नहीं चेते तो तबाही दूर नहीं

मृत्युंजय पुरी |

शिमला में बुधवार को क्लाइमेट चेंज लेक्चर सीरीज का आयोजन किया गया। जिसमें सीएसई की डायरेक्टर जनरल सुनीता नारायण ने क्लाइमेट चेंज पर लेक्चर दिया। उन्होंने कहा कि हमने विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ कर अपने डूबने के लिए कुंए खोद लिए लेकिन जो कुएं और तालाब हमारे आसपास थे उनको खत्म कर दिया। जो जलवायु परिवर्तन का बहुत बड़ा कारण है। आज भारत में आ रहे फ्लड, भूस्खलन और पानी की किल्लत जैसी समस्या की यही वजह है कि देश की किसी सरकार ने विकास के साथ समस्याओं के समाधान के लिए दूरदृष्टि नहीं दिखाई।

नारायण ने शिमला में पानी की किल्लत भी उसी का नतीज़ा है। ये बात सीएसई की डायरेक्टर जनरल सुनीता नारायण ने शिमला में आयोजित क्लाइमेट चेंज पर चल रही लेक्चर सिरीज़ में दी।

क्लाइमेट चेंज विषय पर हिमाचल अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण साइंस एंड टेक्नोलॉजी व सीईई के निदेशक कार्तिकेय ने भी अपने विचार रखे और जलवायु परिवर्तन के समक्ष आ रही चुनौतियों से निपटने के सुझाव दिए।

मनुष्य और प्रकृति का संघर्ष सदियों से चल रहा है। जब भी मनुष्य ने प्रकृति पर हावी होने का प्रयास किया है। प्रकृति ने मनुष्य को उसके बौनेपन का अहसास करवाया है। यही वजह है प्रकृति अभी हमें चेता रही है कि संभल जाओ अन्यथा तबाही ज्यादा दूर नहीं है।