मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार को मंडी जिला के थुनाग में प्रदेश के दूसरे रेशम बीज उत्पादन केन्द्र का शुभारम्भ किया। यह केन्द्र हिमाचल प्रदेश में रेशम बीज उत्पादन की जरूरत को पूरा करने और रेशम कीट पालकों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
यहां जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य में लगभग 12 हजार किसान रेशम उत्पादन से जुड़े हैं। प्रदेश में 7500 औंस रेशम की जरूरत को पूरा करने के लिए राज्य के पहले रेशम बीज उत्पादन केन्द्र पालमपुर में 2500 औंस रेशम का उत्पादन किया जा रहा है। शेष 5000 औंस रेशम की जरूरत अब थुनाग रेशम बीज उत्पादन केन्द्र पूरा करेगा, जो इससे पूर्व आयात की जाती थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बालीचौकी में 4.94 करोड़ रुपये की लागत से रेशम उद्यमिता विकास एवं नवोन्मेष केन्द्र का निर्माण कार्य अन्तिम चरण में है और यह उत्तरी भारत में अपनी तरह का पहला केन्द्र होगा। उन्होंने कहा कि सराज घाटी में रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 2.5 करोड़ रुपये व्यय कर बागाचनौगी, सरोआ, धरोट, मुराह, ढीमकटारू में राजकीय रेशम केन्द्र का निर्माण कार्य पूरा होने वाला है।
उन्होंने कहा कि घाटी में अनुसूचित जाति के 200 किसानों को रेशम कीट पालन गृह निर्माण के लिए डेढ़ लाख रुपये प्रति किसान की दर से तीन करोड़ रुपये तथा 200 किसानों को रेशम कीट पालन उपकरण के लिए 80 लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध करवाई गई है। इसके अतिरिक्त इस वर्ग के 200 किसानों को शहतूत पौधारोपण के लिए 28 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अतिरिक्त सामान्य वर्ग के 700 किसानों को शहतूत पौधरोपण तथा रेशम कीट पालन सामग्री खरीदने के लिए 50 लाख रुपये उपलब्ध करवाए गए है। उन्होंने कहा कि इन गतिविधियों से प्रदेश में रेशम उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ ही स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।