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सरकार प्रदेश में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने पर कर रही है विचारः CM

समाचार फर्स्ट डेस्क |

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने संस्कृत भाषा को दूसरी भाषा का दर्जा प्रदान किया है, क्योंकि यह भाषा अपने शब्दावली, साहित्य, विचारों, भावों और मूल्यों में समृद्ध है। संस्कृत भाषा अपनी प्राचीनता के कारण ग्रीक भाषा की तुलना में अधिक परिपूर्ण, लैटिन भाषा की तुलना में अधिक समृद्ध और इन दोनों की तुलना में अधिक परिष्कृत है। भारत के कुछ विद्यालयों में संस्कृत भाषा और पश्चिमी देशों के कुछ स्थानों में भी इसकी शिक्षा प्रदान की जाती है। भारत के वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के साथ ही विश्व में भी संस्कृत भाषा के प्रति भी रूझान बढ़ा है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भाषा के ज्ञान को बुद्धिजीवी समुदाय बहुत सम्मान प्रदान करता है। संस्कृत साहित्य मानव व्यवहार और सृष्टि में इसकी भूमिका के बारे में विस्तार से वर्णन करता है। अभूतपूर्व बदलाव और अनिश्चितता के इस युग में, यह समाज को आंकने और नए सिरे से देखने का एक महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राज्य सरकार द्वारा संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने के निर्णय की सराहना की है। प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत को और सरल और व्यवहारिक बनाने के प्रयास किए जाएंगे, ताकि इसे लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया जा सके।

जयराम ठाकुर ने कहा कि संस्कृत भाषा को कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए भी सबसे अच्छी भाषा माना जाता है। राज्य सरकार प्रदेश में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने पर भी विचार कर रही है। जिसके लिए भूमि चिन्हित की जा रही है। संस्कृत विद्वानों और संस्कृत अकादमी को इस भाषा को सामान्य भाषा बनाने के लिए सुझावों के साथ आगे आना चाहिए ताकि छात्रों को इस भाषा का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया जा सके।

शिक्षा मंत्री और संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष सुरेश भारद्धाज ने कहा कि संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने वाला हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य हैं। राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि स्कूली छात्रों के पास विभिन्न स्तरों पर इच्छानुसार संस्कृत भाषा को चुनने का पर्याप्त अवसर हो।