हिमाचल

आपराधिक मामलों को सुलझाने में फॉरेंसिक विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिकाः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां हिमाचल प्रदेश फॉरेंसिक साइंस विकास बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अपराध अन्वेषण रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया की समयावधि को कम करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आपराधिक मामलों को सुलझाने एवं अपराधियों को पकड़ने में फॉरेंसिक विभाग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा प्रदेश सरकार विभाग के आधुनिकीकरण के लिए हर सम्भव सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने न्यायालयों में अपराधियों को सजा दिलवाने की दर में सुधार लाने के लिए आपराधिक रिपोर्टों की गुणवत्ता को बेहतर करने पर बल दिया।

ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि अपराधी को कानून के तहत सजा दिलवाने के लिए आपराधिक मामलों के प्रभावी प्रबन्धन की आवश्यकता है, जिसके लिए अपराध स्थल की जांच कर सही तरीके से नमूने एकत्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अपराध स्थल से जो नमूने एकत्रित किए जाते हैं, उनकी विश्वसनीयता एवं सटीकता बनाए रखने के लिए विभाग को बार कोडिंग प्रणाली विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपराधों की सही तरीके से जांच के लिए प्रदेश सरकार चार फॉरेंसिक वाहन प्रदान करेगी। विभाग में विभिन्न रिक्त पदों को भरा जाएगा तथा अधोसंरचना को भी मौजूदा समय के अनुसार विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग की बेहतर कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए फोरेंसिक बिहेवियरल एनलेसिज यूनिट, फूड फोरेंसिक यूनिट सहित अन्य नए यूनिट स्थापित किए जाएंगे।

उन्होंने फोरेंसिक विभाग में कर्मचारियों के युक्तिकरण पर बल दिया और कहा कि राज्य सरकार हमीरपुर, ऊना, सिरमौर, कुल्लू, किन्नौर एवं लाहौल-स्पीति जिलों में जिला फोरेंसिक यूनिट स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि विभाग की कार्यप्रणाली को आधुनिक किया जाएगा, जिसके लिए नवीन तकनीक का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने इसके लिए सरकार द्वारा हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, ओंकार चंद शर्मा, प्रधान सचिव देवेश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, महाधिवक्ता अनूप रतन, पुलिस महानिदेशक डॉ. अतुल वर्मा, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, फॉरेंसिक साइंस की निदेशक डॉ. मिनाक्षी महाजन और बोर्ड के अन्य सदस्य भी बैठक में उपस्थित थे।

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