हिमाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षकों को जल्द ही लंबित यूजीसी पे स्केल दिया जाएगा। मंगलवार को सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के कैंपस का लोकार्पण करने पहुंचे सीएम जयराम ठाकुर ने इसकी घोषणा कर दी है। साथ ही उन्होंने कहा कि एक महीने में संशोधित यूजीसी पे स्केल को लेकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षक लंबे समय से यूजीसी पे स्केल की मांग कर रहे थे। कहा कि सरकार आर्थिक तंगी में जरूर है, लेकिन जिसका जो हक है वो उसे मिलेगा। बता दें कि प्रध्यापक लंबे समय से सरकार से यूजीसी पे स्केल को लागू करने की मांग कर रहे थे और अब सीएम ने उनकी इस मांग को पूरा कर दिया है।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने मंडी में 16.18 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हिमाचल प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालय के दो खण्डों का लोकार्पण कर औपचारिक रूप से यह विश्वविद्यालय लोगों को समर्पित किया। सरदार पटेल विश्वविद्यालय मण्डी के नाम से स्थापित इस राज्य विश्वविद्यालय के अन्तर्गत मण्डी, कांगड़ा, चम्बा, लाहौल-स्पीति और कुल्लू जिला के 141 से अधिक सरकारी और निजी महाविद्यालयों को शामिल किया गया है। सीएम ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को उनके क्षेत्र के निकट उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से 52 वर्षों के पश्चात राज्य में दूसरा सरकारी विश्वविद्यालय अस्तित्व में आने के उपरान्त आज का यह दिन प्रदेश के इतिहास में स्वर्णिम आन्दोलन के रूप में अंकित हो गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के गठन के पश्चात 22 जुलाई, 1970 को प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय शिमला में स्थापित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों को इस संस्थान के उज्ज्वल भविष्य के लिए पूर्ण समर्पण और मिशन मोड पर कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण भारत के लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर किया गया है, जिन्होंने रियासतों का एकीकरण कर अखण्ड भारत के निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिया। सीएम ने कहा कि मण्डी में नए विश्वविद्यालय की स्थापना से प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले विद्यार्थी लाभान्वित होंगे, क्योंकि मण्डी हिमाचल के मध्य में स्थित है और अब महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय से सम्बन्धित कार्य के लिए इन पांच जिलों के विद्यार्थियों को शिमला नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में दो विश्वविद्यालय होने से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की सीटों में भी वृद्धि होगी और विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए आसानी से प्रवेश मिल सकेगा तथा इससे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला का बोझ भी कम होगा।
मुख्यमंत्री ने महाविद्यालय के अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि वर्ष 1986-87 में वल्ल्भ राजकीय महाविद्यालय मण्डी में चार हजार से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे और आज भी छः हजार से अधिक विद्यार्थियों के साथ यह प्रदेश का सबसे बड़ा महाविद्यालय है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय में अर्जित शिक्षा आज भी उन्हें जीवन में विभिन्न बाधाओं को दूर करने में सहायक रही हैं। उन्होंने कहा कि वल्लभ परिसर के निर्माण पर 27 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं और इस वर्ष सितम्बर माह तक इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस महाविद्यालय का एक पूर्व विद्यार्थी प्रदेशवासियों को राज्य का दूसरा विश्वविद्यालय समर्पित कर रहा है और यह हम सभी के लिए गौरव के क्षण हैं। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय परिसर की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि का चयन शीघ्र ही किया जाएगा और इस वर्ष जुलाई से मौजूदा परिसर से ही कक्षाएं आरम्भ हो जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटा पहाड़ी राज्य होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़े राज्यों का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गुणात्मक शिक्षा पर विशेष ध्यान दे रही है और सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों ने बोर्ड के परीक्षा परिणामों में शानदार प्रदर्शन किया है।