हिमाचल के सरकारी स्कूलों में दी जा रही कम्प्यूटर शिक्षा सवालों के घेरे में है। जिस कंपनी के साथ पूर्व सरकार ने कम्प्यूटर शिक्षा को लेकर एमओयू साइन किया था, अब उस कंपनी के पास उस एमओयू की कॉपी नहीं है। ऐसा खुलासा कम्प्यूटर शिक्षकों द्वारा कंपनी से मांगी गई आरटीआई में हुआ है। शिक्षकों ने आरटीआई के माध्यम से एमओयू की कॉपी कंपनी से मांगी थी, जिसके जवाब में कंपनी ने कहा है कि ये दस्तावेज चंडीगढ़ कार्यालय में जलकर राख हो गया है, ऐसे में कंपनी की कार्यप्रणाली पर कम्प्यूटर शिक्षकों ने सवाल उठाए हैं।
कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर प्रदेश में बड़ा घोटाला
शिक्षकों का आरोप है कि जब कंपनी के पास MOUकी कॉपी नहीं है तो वह किस आधार पर स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा चला रही है। क म्प्यूटर शिक्षक संगठन ने प्रदेश में कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर बड़ा घोटाला होने का आरोप लगाया है। संगठन के अध्यक्ष हेतराम ठाकुर का कहना है कि इतनी बड़ी कंपनी को पूर्व सरकार ने किन शर्तों पर कम्प्यूटर शिक्षा का टैंडर दिया है, इसके बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।
संगठन के अध्यक्ष, महासचिव अश्वनी शर्मा और प्रैस प्रवक्ता राजेश ने सरकार और शिक्षा विभाग से मांग उठाई है कि इस मामले की जांच की जाए। पदाधिकारियों का कहना है कि एमओयू का रिकार्ड न होने से शिक्षकों को दिक्कतें हो रही हैं। नाईलेट कंपनी के साथ किन शर्तों केे साथ उन्हें स्कूलों में रखा गया है, उन्हें यह स्पष्ट नहीं है।
शिक्षकों को नहीं मिल रही छुट्टियां
संगठन के प्रैस सचिव राजेश शर्मा का कहना है कि कंपनी के पास MOU की कॉपी न होने से शिक्षकों को समर और विंटर दोनों की छुट्टियां भी नहीं मिल पा रही हैं। शिक्षकों को बिना कार्य से स्कूलों में ड्यूटी देनी पड़ रही है। इसके अलावा शिक्षकों ने सवाल उठाए हैं कि कंपनी किस आधार पर प्रदेश में क म्प्यूटर शिक्षकों के वेतन से लाखों की कमीशन ले रही है। संगठन ने सरकार व शिक्षा विभाग से मामले की जांच करने की मांग की है।