प्रदेश की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह डूबोने का काम यदि किसी ने किया है तो उसके लिए कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की सरकार जिम्मेवार है।
कांग्रेस पार्टी की सरकार हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आने के 10 महीने बाद आज भी सुखविन्द्र सरकार के मंत्री , प्रवक्ताओं और स्वयं मुख्यमंत्री के बयानो से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस यह मानने को तैयार नहीं है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में है और भाजपा प्रतिपक्ष में है।
सरकार में स्थापित लोगों के निरंतर एक ही बयान आ रहे हैं कि एक ही बयानबाजी कर रहे कि भाजपा ने यह नहीं किया, वो नहीं किया, ऐसा नहीं किया, वैसा नहीं किया और केवल और केवल धन का रोना रोते रोते एतबार समय बिता दिया।
उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान अरबों रूपये की घोषणाएं, गारंटियां जब चुनावी जनसभाओं में कांग्रेस के नेता दे रहे थे उस समय प्रदेश की माली हालत का इन्हे सब कुछ मालूम था वावजूद उसके केवल और केवल झूठ के आधार पर वोट बटोरने के लिए गारंटियां बांटी जा रही थी और उन गारंटीयों को पूरा करने के लिए आते ही डीजल के दाम, सीमेंट के दाम, दालों के दाम हर चीज को महंगी करते गए।
जिला परिषद कर्मी सड़क पर है, उनको झूठे वायदे किए गए। एस0एम0सी0 अध्यापक सड़क पर हैं उनको झूठे वायदे किए गए और कोरोना वारियर्स रोते बिलखते कांग्रेस की सरकार के शिकार हो गए हैं।
हिमाचल में इतनी बड़ी आपदा आई परंतु अभी तक आपदा के बाद जहाँ नुकसान का आंकलन कर उसकी रिपोर्ट पेश की जानी थी वहीं तीन महीने बीतने के बाद भी आपदा का आंकलन नहीं हो रहा। आज 3300 पंचायतों में ग्राम सभाएं नहीं हो पाई है और विकास के काम ठप्प पड़े हैं।इतने अव्यवस्था में मंत्री और सीएम भी गंभीर नहीं दिख रहे है।
उन्होंने कहा प्राकृतिक आपदा से पूरे प्रदेश में हुए जान माल के नुकसान के कारण प्रदेश की जनता परेशान है, क्योंकि जिन पंचायत के माध्यम से इस नुकसान का आकलन व रिपोर्ट तैयार की जानी है, उन पंचायत के लगभग 4700 कर्मचारी जिला परिषद के पिछले कई दिनों हड़ताल पर हैं। पंचायत कर्मचारी के हड़ताल पर जाने से गांव और गरीब के कार्य ठप हो गए हैं। जिसके कारण आम जनता में सरकार के प्रति रोष है।