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4 महीने से धर्मशाला में 3 डॉक्टर ले रहे कोरोना के सैंपल, एक बार भी नहीं हुए आइसोलेट

मृत्युंजय पुरी |

वैश्विक कोरोना महामारी में जहां जनता को कोरोना के प्रति स्वास्थ्य विभाग जागरूक करने के लाख दावे करता है। लेकिन हकीकत क्या है ये आज हम आपको बताएंगे। धर्मशाला अस्पताल जिसे कोविड अस्पताल बनाया गया है। इसमें अभी 80 कोरोना पॉजिटिव मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं। आज की नहीं हम बात कर रहे हैं 4 महीनों से चले आ रहे प्रोसेस के बारे में। धर्मशाला अस्पताल में पिछले 4 महीनों से लगातार डेंटल डॉक्टर कोरोना के सैम्पल ले रहे हैं। लेकिन यहां वर्ल्ड हेल्थ ऑरगेनाइजेशन यानि डब्ल्यू एच ओ की गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा। 4 महीने से बिना रेस्ट बिना होम आइसोलेशन के ये 3 डेंटल डाक्टर कोरोना मरीजों के सेम्पल ले रहे हैं।

आपको ये भी बता दें कि तीनों डाक्टरों के साथ काम करने वाले 2 सहायक टेक्निशन कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। लेकिन उनके सम्पर्क में आने के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों को आइसोलेशन की ना तो सलाह दी और ना ही उन्हें ड्यूटी से हटाया गया। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना के परहेज और बचाव की सलाह देने वाला विभाग ही उसके नियम कानून को नहीं मान रहा और लोगों की जान को खतरे में डाल रहा है। जानकारी के मुताबिक 4 महीने से 3 डाक्टर अगर 4 दिन कोरोना के टेस्ट कर रहे हैं तो उसके बाद उन्हें रेस्ट देने के बजाए विभाग उन्हें ओपीडी अटैंड करने भेज रहा है। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग लोगों की जान के साथ धर्मशाला में खिलवाड़ कर रहा है।

सवाल यहां ये उठता है कि अगर कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों को 14 दिन का क्वारनटाइन दिया जा रहा है तो जो डाक्टर 4 महीने से कोरोना के सैम्पल ले रहे हैं, उनके लिए नियम अलग क्यों है। सवाल के जबाव में सीएमओ कांगड़ा गुरदर्शन गुप्ता से मामले के बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी काम कानून किये जा रहे हैं और रोटेशन में ड्यूटी चल रही है। अब ये कितना सच है ये तो प्रशसनिक जांच के बाद ही पता चलेगा।