बिलासपुर के बंदलाधार में गुरुवार को देश के पहले राजकीय हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज का शुभारंभ हो गया। तकनीकि शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा ने कॉलेज के नए परिसर में प्रथम वर्ष की कक्षाओं और कन्या छात्रावास का शुभारंभ किया। कॉलेज में अभी सिविल और इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की कक्षाओं को शुरू किया गया है। आने वाले समय में यहां अन्य विषय भी शुरू किए जाएंगे। इसके साथ ही नगरोटा में चलाई जा रही इस कॉलेज की कक्षाएं भी बंदला शिफ्ट की जाएंगी।
मारकंडा ने बताया कि इस नए परिसर का निर्माण एनएचपीसी और एनटीपीसी ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व योजना के तहत एनपीसीसी के माध्यम से करवाया है। एनएचपीसी और एनटीपीसी ने कॉलेज के लिए 125 करोड़ रुपये की मदद ही नहीं दी है, बल्कि इस संस्थान के संचालन में भी इन दोनों सार्वजनिक उपक्रमों का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। अभी तक इस कॉलेज पर लगभग 105 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इसके लिए शीघ्र ही 40 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि का प्रावधान भी किया जा रहा है।
गौरतलब है कि बिलासपुर के बंदला के लिए स्वीकृत इस कॉलेज को मूलभत ढांचा न होने की वजह से तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री जीएस बाली द्वारा इसे नगरोटा बगवां में शुरू किया गया था। कॉलेज के पहला बैच नगरोटा से ही पास आउट हुआ है। लेकिन अब कॉलेज का अपना स्थाई भवन लगभग बन चुका है और जल्द ही नए भवन में सभी कक्षाएं शुरू होने की उम्मीद है।
जीएस बाली का अहम योगदान
हिमाचल में तकनीकि शिक्षा के क्षेत्र में पूर्व मंत्री जीएस बाली का अहम हाथ है। उन्हीं के प्रयासों से आज हिमाचल प्रदेश में देश का पहला हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज खुल पाया है। इस कॉलेज का काम सालों से लटका हुआ था। पूर्व मंत्री जीएस बाली ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के सामने कॉलेज के जल्द निर्माण का आग्रह किया था । जीएस बाली का मानना था कि प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में यह नया आयाम है और ज़िला बिलासपुर के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार का एक नायाब तोहफा है। हालांकि इसके लिए पूर्व मंत्री जीएस बाली ने काफी कशमकश भी की और इसका काम पेंडिंग होने पर कई दफा सरकार को भी आगाह किया।