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शिमला में दूषित पानी की सप्लाई पर माकपा लाल, CM से की कार्रवाई की मांग

पी. चंद |

माकपा ने शिमला शहर की जनता को दूषित पानी की सप्लाई पर माकपा भी लाल हो गई है। माकपा ने मुख्यमंत्री से नगर निगम शिमला और आईपीएच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाही की मांग की है। माकपा ने कहा कि लैबोरेटरी की रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है कि पिछले कुछ समय में संजौली टैंक और अश्विनी खड्ड से ट्यूबवेल से उठाया जा रहा पानी दूषित हैं। माकपा ने मांग की है कि इस सप्लाई को तुरंत बंद किया जाए ताकि पूर्व की भांति पीलिया से शहर की जनता प्रभावित न हो।

ज्ञात रहे कि वर्ष 2007, 2009, 2011, 2013 और 2015 में अश्विनी खड्ड के सीवरेज युक्त पानी से ही शहर में बड़े पैमाने पर पीलिया फैला था व जनता प्रभावित हुई थी। वर्ष 2015 में पूर्व नगर निगम ने पूरी जांच पाया गया था कि अश्विनी खड्ड में सीवरेज का पानी मिलने से पीने का पानी दूषित होता है। 

माकपा ने कहा कि इसकी पुष्टि सभी जांच एजेंसियों ने की थी और सरकार के विरोध के बावजूद इस अश्विनी खड्ड के पानी की लिफ्टिंग बन्द की थी और दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध FIR दर्ज की थी और ये मामला अभी भी चल रहा है।

उच्च न्यायालय ने भी शहर में पेयजल आपूर्ति के इस मामले को गम्भीरता से लिया था तथा पेयजल की गुणवत्ता बनाने के लिए कड़े आदेश सरकार व नगर निगम को दिए थे।

पूर्व नगर निगम ने उस समय पीने के पानी को गुणवत्ता को लेकर कड़े मापदंड तय किये थे तथा पीने के पानी की जांच किसी अन्य एजेंसी से करवाने व इन्हें सार्वजनिक करने का निर्णय लिया था ताकि शहर की जनता प्रतिदिन पानी की गुणवत्ता जान सके और नगर निगम भी सतर्क रहें। पूर्व नगर निगम ने सरकार को नगर निगम के इस निर्णय से भी अवगत करवाया था कि अश्विनी खड्ड का पानी पीने योग्य नहीं हो सकता क्योंकि इसमें सीवरेज प्लांट का पानी मिलता है और इसकी भविष्य में भी आपूर्ति न की जाए।

गौरतलब है कि 19 मई को अश्विनी खड्ड से शुरू किए गए 3 ट्यूबवेल में पानी के सैंपल लिए गए थे, आईजीएमसी में जांच के बाद सैंपल फेल होने की रिपोर्ट आई है। इसके अलावा संजौली रेंजवायर आउटलेट से लिए गए सैंपल भी फेल पाए गए हैं। वहीं, नगर निगम प्रशासन का कहना है कि खड्ड से टयूबवैल के जरिए पानी को शुद्ध कर टैंक में डाला जाता है। पानी के सैंपल कसुम्पटी टैंक के फेल हुए हैं।