धर्मशाला, 28 मार्च: कांगड़ा जिला में सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में नशे के दुष्प्रभावों से युवाओं को जागरूक करने पर विशेष फोक्स किया जाएगा। यह जानकारी उपायुक्त हेमराज बैरवा ने वीरवार को राष्ट्रीय नार्को समन्वय पोर्टल (एनकॉर्ड) के जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में नशा निवरण के लिए गठित प्रहरी क्लबों के माध्यम से नशा निवारण को लेकर विभिन्न स्तरों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही महाविद्यालयों में रेड रिबन क्लबों को नशा निवारण अभियान का हिस्सा बनाया जाएगा, तकनीकी संस्थानों में भी युवाओं को जागरूक करने के लिए विशेष प्लान तैयार किया जाएगा ताकि कांगड़ा जिला को नशा मुक्त बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया जा सके।
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि कांगड़ा जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों नुरपुर इत्यादि में नशा निवारण के लिए पुलिस तथा अन्य विभागों के सहयोग से विशेष अभियान आरंभ किया जाएगा ताकि इन क्षेत्रों के युवाओं को नशे से दूर रखा जा सके। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि नशे की चपेट में आए लोगों का सही तरीके से उपचार तथा मागदर्शन सुनिश्चित किया जा सके। उपायुक्त ने बताया कि कांगड़ा जिला के अभी तक 7 स्वास्थ्य संस्थानों में नशा मुक्ति क्लीनिक सेवाएं शुरू की गई हैं। इन अस्पतालों में ये सेवाएं हर हफ्ते 2 दिन शुक्रवार और शनिवार को दोपहर बाद 2 से 4 बजे तक मिल रही हैं। इनमें जोनल अस्पताल धर्मशाला के साथ साथ सिविल अस्पताल ज्वालामुखी, शाहपुर, नूरपुर, इंदौरा, देहरा और पालमपुर शामिल हैं। इन संस्थानों में नशा मुक्ति के मामलों को डील करने के लिए प्रशिक्षित चिकित्सक और स्टाफ मौजूद है। साथ ही वहां नशा मुक्ति से जुड़ी सभी दवाइयां भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि इस सेवा को आगे जिले के अन्य अस्पतालों में लागू किया जाएगा। उन्होंने नशा मुक्ति क्लीनिक में सेवाएं दे रहे चिकित्सकों और अन्य स्टाफ को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण देने के बारे में कहा। उन्होंने कहा कि देश में नशा मुक्ति को लेकर कार्य कर रहे प्रमुख संस्थानों और विशेषज्ञों की सेवाएं इसके लिए ली जाएंगी। उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति संबंधित सेवाओं के लिए जिले में एक वन स्टॉप सेंटर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नशे की सपलाई, डी-एडिक्शन, पीड़ितों का उपचार तथा संबंधित सभी सेवाओं की जानकारी इस वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला में चल रहे सभी नशा मुक्ति तथा पुनर्वास केंद्रों का नियमित निरीक्षण किया जाए तथा इसकी रिपोर्ट भी प्रेषित की जाए ताकि मापदंडों की अनुपालना नहीं करने वाले नशा मुक्ति तथा पुनर्वास केंद्रों पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हितेश लखनपाल ने कहा कि जिले में नशे के कारोबार को नियंत्रित करने और युवा को इससे बाहर निकालने के लिए सबकी सहभागिता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नशे की जाल में फंस चुके युवा तथा उनके परिवार इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को बिना किसी झिझक के दें। उन्होंने कहा कि पुलिस उनको इससे बचाने और नशे के कारोबार को नियंत्रित करने में पूर्ण सहयोग करेगी। बैठक कक्ष में डॉ. आर.के. सूद, डिप्टी डायरेक्टर शिक्षा महेंद्र, समन्वयक सुधीर भाटिया विभिन्न विभागों के अधिकारी, गुंजन ऑर्गेनाइजेशन के समन्वयक संदीप शर्मा तथा डायरेक्टर विजय सहित अन्य गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा हितधारक उपस्थित रहे।
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