<p>सिरमौर जिला में आए दिन सड़कों में मौत का तांडव देखने को मिल रहा है। आखिरकार इन हादसों के पीछे की वजह क्या है। इसको लेकर हमने लोगों से बात की। लोगों का कहना कि सिरमौर में सड़कों की दयनीय दशा सड़क हादसों को न्यौता देती है।</p>
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<p>सड़क के किनारे पेराफीट और किसी तरह की रोक नहीं है। ड्राइवर की जरा सी चूक बेहगुनाह जिंदगियों को मौत के मुंह में ले जाती है। कुछ चालक टैक्सी में गाड़ी सीखकर निज़ी बसों में ड्राइवर बनाएं जा रहे हैं। सरकार कहती है कि निज़ी बस चालकों के लिए कोई ठोस नीति बनेगी लेकिन, अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ पाए हैं।</p>
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<p>यहां तक कि प्रसाशन ऐसे चालकों के लाइसेंस तक चेक करने की जहमत नहीं उठाता है। बसों में सवारियां ठूस-ठूस कर भारी जाती हैं।</p>
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<p>'समाचार फर्स्ट' ने कुछ दिन पहले ही राजगढ़ में ओवरलोडिंग बस जिसकीं छत पर भी सवारियां थी कि खबर को प्रमुख्ता से उठाया था। लेकिन, प्रशासन ने कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई। शिमला और सिरमौर जिला में 70 फीसदी मौते सड़क हादसों में हो रही है जो चिंता का विषय है।</p>
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