मंडी: बच्चे स्कूल छोड़ नहीं रहे बल्कि उन्हें स्कूल से बाहर धकेला जा रहा है। भारत में शिक्षा की चुनौतियों पर मंडी में सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व डीन एवं भारत ज्ञान विज्ञान समिति की कार्यकारिणी सदस्य डॉ. अनीता रामपाल ने दावा किया कि अगर नई शिक्षा नीति देश में लागू होती है तो एक बड़ा तबका शिक्षा से वंचित हो जाएगा। डॉ. रामपाल ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा में लड़कियों की संख्या बढ़ी है। यह लड़कियों की शिक्षा के लिए खतरे का संकेत है क्योंकि हमारे सामाजिक ढांचे में अभी इतनी स्वतंत्रता नहीं है कि लड़कियां घर पर पढ़ पाएं।
उन्होंने कहा कि अफसोस की बात है कि हिमाचल जिसे केरल के बाद सरकारी शिक्षा के लिए सबसे अनुकूल और बेहतर माना जाता था उसने भी केंद्र सरकार के आगे आत्मसमर्पण कर दिया है और उसी की रह पर चल पड़ा है। डॉ. अनीता रामपाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली के नाम पर शिक्षा में अंधविश्वास, रूढिय़ां और सांप्रदायिक ज़हर परोसा जा रहा है। देश की शिक्षा का पाठ्यक्रम बदल दिया जा रहा है। उन्होंने अध्यापक संगठनों से भी नई शिक्षा नीति का विरोध करने का आह्वान किया। वहीं पर भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सी रामाकृष्णन ने कहा कि आज भी 8 करोड़ बच्चे शिक्षा से वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि देश भर के लिए शिक्षा का केरल मॉडल नहीं हो सकता लेकिन हर राज्य को केरल की तरह अपना एक मॉडल तैयार करके सरकारी शिक्षा को बचाना होगा। शिक्षा को सार्वभौमिक, गुणवत्तापूर्ण और सबके लिए समान बनाने के लिए जन विज्ञान आंदोलन को आवाज़ उठानी होगी। वहीं समिति के राष्ट्रीय सह सचिव डॉ. प्रमोद गौरी ने उच्च शिक्षा में चुनौतियों पर बात की और कहा कि उच्च शिक्षा भी संकट के दौर से गुजऱ रही है। एक साजिश के तहत शिक्षा में बच्चों की छंटाई की जा रही है और सीमित बच्चों के लिए ही उच्च शिक्षा को एक तरह से संरक्षित किया जा रहा है।
विश्वविद्यालयों को निजीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और सरकारी सहायता देने के बजाय उन्हें लोन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में कॉरपोरेट और प्रतिक्रियावादी गठबंधन बनता जा रहा है। एआईपीएसएन की राष्ट्रीय सचिव आशा मिश्रा ने देशभर में शिक्षा पर चले अभियानों और आंदोलनों का ब्योरा रखा। उन्होंने नई शिक्षा नीति का विरोध करने और शिक्षा का अधिकार अधिनियम को बचाने, बच्चों में काम करने के लिए बाल सभा के गठन, सामुदायिक शिक्षण केंद्र चलाने पर बाल दिया।
सम्मेलन में भारत ज्ञान विज्ञान समिति के महासचिव डॉ. काशीनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर औपचारिक शिक्षा और सरकारी स्कूलों को खत्म करना चाहती है। उन्होंने झारखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि कोविड के दौरान समिति द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में निकल कर आया कि 87 प्रतिशत घरों में ही स्मार्ट फोन है। नेटवर्क कमज़ोर है। इस स्थिति में भारत वर्ष में ऑनलाइन शिक्षा न तो व्यवहारिक है और न ही गरीबों के हित में है।
समिति के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश भूरेटा ने कहा कि हिमाचल में अभी 48 फीसदी बच्चे निजी शिक्षण संस्थाओं में पढ़ रहे हैं। इनमें दलित और लड़कियों की औसत ज्यादा है। हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति के वरिष्ठ सदस्य राजेंद्र मोहन ने प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि समिति को बनाने और बढ़ाने में हजारों कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा है। सेमिनार में देश के 13 राज्यों और हिमाचल के 8 जिलों के कार्यकर्ताओं सहित मंडी जिला के शिक्षाविद और प्रतिष्ठित नागरिक शामिल रहे।