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मुख्यमंत्री का जबाब सुने बगैर सदन से वॅाकआउट करना आलोकतंत्रिक: सुरेश भारद्वाज

पी. चंद |

हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन 11 बजे से शुरू हुई अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान खूब हंगामा हुआ. प्रशंकाल काल का समय काट कर नियम 278 के तहत अविश्वास प्रस्ताव पर सत्ता पक्ष एवम विपक्ष के सदस्यों ने एक दूसरे पर जमकर निशाने साधे. चार बजे के बाद विपक्ष के अन्य सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने की अनुमति न मिलने पर सदन में हंगामा और नारबाजी शुरू कर दी. मुख्यमंत्री जैसे ही चर्चा का जवाब देने उठे तो कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए सदन से वॅाकआउट कर गए.

विपक्ष के नेता मुकेश ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने के लिए केवल चार घंटे का कम समय दिया गया. विपक्ष के 17 विधायको को बोलने का मौका नहीं दिया गया. सरकार से हर वर्ग परेशान है. महंगाई बेरोजगारी, माफियाराज जयराम सरकार में दन दना रहा है. अविश्वास प्रस्ताव के बाद मुख्यमंत्री को पद से इस्तीफा देना चाहिए.

कांग्रेस नेता आशा कुमारी ने कहा कि कांग्रेस के विधायकों को अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने के लिए बहुत कम समय दिया गया. एक तिहाई बहुमत के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया गया लेकिन विपक्ष के 23 विधायकों को इस पर बोलने का समय नहीं दिया गया. उन्होंने कहा की विपक्ष के साथ यह सरकार जनता का विश्वास भी खो चुकी है. विपक्ष की आवाज़ को सदन में सुना नहीं गया जिसके बाद वाकआउट किया गया.

उधर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विपक्ष के रवैये को आलोकतंत्रिक करार दिया और कहा कि विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने का पूरा मौका दिया गया. बाबजूद इसके विपक्ष मुख्यमंत्री का जबाब सुने बगैर ही सदन से भाग गया. जो की लोकतंत्र की परंपराओं के खिलाफ़ है.