हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला शहर की दक्षिण दिशा के सामने ताख पर्वत के शिखर पर स्थित तारादेवी मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. विपदा-आपदा हरने वाली कल्याणकारी त्रिगुणात्मक शक्तिपीठ धाम तारा देवी मंदिर नाम से जाना जाता है. तारा देवी मां क्योंथल रियासत के राजपरिवार की कुलदेवी है.
माना जाता है कि राजा भूपेंद्र सेन जुनबा से गांव जुग्गर शिलगांव के जंगल में आखेट करने निकले. जहां पर मां भगवती तारा के सिंह की गर्जना झाडिय़ों से राजा को सुनाई दी फिर एक स्त्री की आवाज गूंजी. राजन मैं तुम्हारी कुलदेवी हूं जिसे तुम्हारे पूर्वज बंगाल में ही भूल से छोड़कर आए थे. तुम यहीं मेरा मंदिर बनवाकर मेरी मूर्ति स्थापित करो। मैं तुम्हारे कुल एवं पूजा की रक्षा करूंगी.
राजा ने तत्काल गांव जुग्गर में दृष्टांत वाली जगह पर मंदिर बनवाकर एवं चतुर्भुजा तारा की मूर्ति बनवाकर विधिवत प्रतिष्ठा कर दी जिससे यह तारा देवी का उत्तर भारत का मूल स्थान बन गया. आज भी प्रदेश सहित देशभर से लोग यहां आते हैं और मन्नत मांगते हैं. भक्तों की सभी मन्नते माता पूरी करती हैं.