विश्व विख्यात कांगड़ा पहाड़ी चित्रकला संपूर्ण भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपनी सुंदरता हेतु जानी जाती है. परंतु 3 दशक पूर्व यह चित्रकला जिला कांगड़ा में लगभग पूरी तरह से समाप्त हो चुकी थी. वहीं, धनीराम खुशदिल ने इसे जीवित ही नहीं किया अपितु इसके नवोदित कलाकारों की संख्या भी खूब बढ़ा दी है और साथ में बहुत सारे कलाकारों को रोजगार के साथ भी जोड़ा है.
बीते दिनों खुशदिल की कला के प्रति उपलब्धियों को देखते हुए भव्या फाउंडेशन राजस्थान द्वारा (रजि०)अंतरराष्ट्रीय मैत्री सम्मेलन राष्ट्र गौरव अवार्ड 2022 कला सम्मान से सम्मानित किया है यह समूचे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है.
खुश दिल का कहना है कि जिला प्रशासन हिमाचल सरकार का भी खूब योगदान मिल रहा है. वर्ष 2002 से एक कांगड़ा पेंटिंग रिवाइवल फॉर्म संस्था का गठन किया है. इस संस्था द्वारा कोई भी नवोदित इस कला को सीखने और प्रचार-प्रसार करने मैं रुचि रखता हो उसे निशुल्क “कांगड़ा पेंटिंग गुरुकुल,”मैं दाखिला दिया जाता है.
सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के साथ-साथ बेटी सिखाओं का भी अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान के अंतर्गत इस बहुत सारी नवोदित कलाकार छात्राएं लाभान्वित हुई है.
कांगड़ा चित्रकला के अतीत भविष्य पर अगर हम नजर दौड़ाएं तो हम देखते हैं कि महिला चित्रकारों नाम कहीं नहीं आता है. क्योंकि अतीत समय में महिलाओं को ऐसे कार्य से वंचित रखा जाता था. धनीराम खुश दिल का कहना है इस चित्रकला की खूबसूरती को अब समूचे विश्व में पुनः स्थापित किया जाएगा.