हिमाचल

जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर कार्यशाला

एडीसी बोले: बदलते परिदृश्य के अनुरूप हों विकासात्मक कार्य
धर्मशाला: हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने इस बात को पुनः सिद्ध कर दिया है कि विकास कार्यों के दौरान जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखना अति आवश्यक है। प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील होने के कारण हमारे क्षेत्र में विकासात्मक कार्यों के क्रियान्वयन में वैज्ञानिक तौर-तरीकों को अपनाने की जरूरत है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा ‘बदलते परिवेश और भूकंपीय खतरे के समय में सतत विकास’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त कांगड़ा सौरभ जस्सल ने यह विचार प्रकट किए। एडीसी ने कहा कि प्रदेश सरकार के सख्त निर्देश हैं कि सभी विभाग प्राकृतिक आपदाओं के न्यूनीकरण को लेकर काम करें।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बात पर विशेष बल दिया है कि भविष्य में सभी निर्माण कार्य पूर्ण वैज्ञानिकता के साथ किए जाएं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के खतरे को कम से कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि इसी के दृष्टिगत निर्माण कार्यों से जुड़े विभागों के अधिकारियों के लिए इस प्रकार की कार्यशालाएं आयोजित करवाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का मकसद है कि हम बदलते प्राकृतिक परिदृश्य के अनुरूप अपना विकास मॉडल विकसित करें। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को सतत विकास पर जोर देते हुए विकासात्मक कार्यों के दौरान विशेषज्ञों की राय पर अमल करना चाहिए।
इन विशेषज्ञों ने लिया भाग
डीडीएमए कांगड़ा द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में एनआईटी हमीरपुर से डॉ. राजेश्वर सिंह, डॉ. हेमंत कुमार विनायक, आईआईटी मंडी से डॉ. आशुतोष कुमार, राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज नगरोटा बगवां से क्रितिजा शर्मा और अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग सुरेश वालिया ने ‘जलवायु परिवर्तन और सतत विकास’ से संबंधित विषयों पर अपनी बात रखी। इस दौरान लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, विद्युत बोर्ड, पंचायती राज विभाग और निर्माण कार्यों से जुड़े अन्य विभागों के अधिकारियों ने अपने प्रश्नों और जिज्ञासाओं को विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत कर विकासात्मक कार्यों से जुड़े विषयों पर विस्तार से चर्चा की।
विकासात्मक कार्यों में हो समाज की सहभागिता
दो सत्रों में आयोजित इस कार्यशाला में विशेषज्ञों ने विकासात्मक कार्य और आपदा न्यूनीकरण पर बहुमूल्य सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र की प्रकृति और भौगोलिक परिस्थिति अलग प्रकार की होता है। उन्होंने कहा कि हमें विकासात्मक कार्यों के लिए एक ही प्रकार की एप्रोच से हर क्षेत्र में कार्य करने की बजाए स्थान के हिसाब से योजना बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र की भौगोलिक और प्राकृतिक स्थिति का अनुमान स्थानीय जनसंख्या को अधिक होता है। इसलिए हमें विकासात्मक कार्यों का एजेंडा बनाने के लिए स्थानीय लोगों के विचारों को सम्मिलित कर इसमें समाज की सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
यह रहे उपस्थित
इस दौरान डीडीएमए कांगड़ा से भानु शर्मा, एजुकेयर संस्था से हरजीत भूल्लर सहित निर्माण कार्यों से जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
Kritika

Recent Posts

सुजानपुर में सांसद मोबाइल स्वास्थ्य सेवा का शिविर, 45 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण

Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…

48 minutes ago

कांगड़ा एयरपोर्ट की 14 फ्लाइट्स रद्द, जानें कारण, क्‍या है समस्‍या और समाधान

Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…

1 hour ago

परिवहन में डिजी लॉकर को मान्यता न देने पर दिव्‍यांग कल्‍याण संगठन ने जताई नाराजगी

DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…

2 hours ago

हमीरपुर में तकनीकी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह में 4801 को मिली डिग्रियां

Himachal Technical University convocation: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी…

2 hours ago

हिमाचल के मल्टी टास्क वर्करों के मानदेय में ₹500 की बढ़ोतरी, अब मिलेंगे ₹5000 प्रति माह

PWD Multi-Task Workers ₹5000: हिमाचल प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग में नियुक्त करीब 4,800…

2 hours ago

हर 30 सेकंड में वर्षा की बूंदों का आकार, उनकी गति, वर्षा की तीव्रता का लेगगा पता

कांगड़ा एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक डिसड्रोमीटर से मौसम अध्ययन को मिलेगा नया आयाम भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम…

3 hours ago