हिमाचल

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया हुआ इन्वेस्टर्स मीट, धर्मशाला को मिला धोखा!

क्या धर्मशाला के लोगों के साथ सरकार धोखा कर रही है? क्या सरकार ने सिर्फ दिखावे के लिए इन्वेस्टर्स मीट किया था? ये सवाल इसलिए क्यों कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार से जो सवाल पूछे गए और सरकार ने जब उन सवालों का जवाब दिया. तो कई सवाल खड़े हो गए. आपको याद होगा हिमाचल की जयराम सरकार ने 2019 में धर्मशाला में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन करवाया था. इस इन्वेस्टर्स मीट में कुल 703 एमओयू साइन हुए थे. सरकार के मुताबिक ये 13 हजार करोड़ की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी थी. लेकिन हजारों करोड़ की इस सेरेमनी से धर्मशाला के लोगों को मिला क्या?

सरकार से प्रश्न
दरअसल, विधानसभा में प्रश्न संख्या – 4339 के तहत फतेहपुर से कांग्रेस विधायक भवानी सिंह पठानिया और धर्मशाला से भाजपा विधायक विशाल नैहरिया ने इन्वेस्टर्स मीट को लेकर सवाल किए. पहला सवाल था, प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित इन्वेस्टर्स मीट में कितनी धनराशि के एमओयू साइन हुए? हस्ताक्षरित एमओयू में से कितना निवेश प्रदेश में हो चुका है?

दूसरा सवाल था, प्रदेश में हुए इन्वेस्टर्स मीट के अंतर्गत धर्मशाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कितनी सरकारी भूमि इंडस्ट्री लगाने के लिए चिन्हित की गई थी और कितने लोगों ने अपनी निजी भूमि इंडस्ट्री लगाने के लिए लीज पर देने का प्रस्ताव दिया?

सरकार का उत्तर
पहले सवाल के जवाब में सरकार ने कहा, प्रदेश सरकार की ओर से कुल 703 एमओयू हस्ताक्षर किए गए हैं जिनमें 96720.88 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है. इनमें से 236 परियोजनाएं जिनमें प्रस्तावित निवेश 13488 करोड़ रुपए था, इसके लिए भूमि का चयन कर धरातल पर उतारा गया है. 236 परियोजनाओं में से 96 परियोजनाओं में 2710 करोड़ रुपए का निवेश हो चुका है और इनमें उत्पादन शुरू हो चुका है. 104 परियोजनाओं में निर्माण कार्य प्रगति पर है और शेष 36 परियोजनाएं कोरोना महामारी और अन्य कारणों से अभी तक शुरू नहीं की गई हैं.

दूसरे सवाल के जवाब में सरकार ने कहा, निवार्चन क्षेत्र धर्मशाला के अंतर्गत कोई भी सरकारी भूमि इंडस्ट्रीज लगाने के लिए चिन्हित नहीं की गई थी. धर्मशाला में ईकाई स्थापित करने के लिए किसी भी निवेशक से उद्योग स्थापना के लिए प्रस्तावना प्राप्त नहीं हुई है. इसके अतिरिक्त धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 9 लोगों ने अपनी निजी भूमि उद्योग स्थापना के लिए प्रस्तावित की थी.

दूसरे सवाल के जवाब में सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब धर्मशाला के अंतर्गत कोई भी सरकारी भूमि इंडस्ट्रीज लगाने के लिए चिन्हित नहीं की गई थी. तो फिर सरकार ने इतना बड़ी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी क्या धर्मशाला को सिर्फ दिखावे के लिए आयोजित की थी? सवाल ये भी है कि हजारों करोड़ रुपए खर्च कर सरकार सिर्फ अभी तक 96 परियोजनाओं में 2,710 करोड़ रुपए का ही निवेश करवा पाई? जबकि अब सरकार इन्वेस्टर मीट की दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग की तैयारी में है. इसमें पीएम मोदी भी आ सकते हैं. लिहाजा धर्मशाला के हिसाब से देखा जाए तो जयराम सरकार ने यहां इन्वेस्टर्स मीट करवाकर धर्मशाला के लोगों को कुछ नहीं दिया.

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