<p>पर्यटन की दृष्टि से महत्वपुर्ण धर्मशाला-मैक्लोडगंज रोप-वे एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। कहा जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य कर रही कंपनी ने करीब 145 करोड़ के प्रोजेक्ट से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। पिछले कुछ दिनों से कंपनी द्वारा इस निर्माण कार्य से किनारा करने की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन मंगलवार को टाटा कंपनी के श्रमिकों द्वारा मैक्लोडगंज साइट से अपना सामान समेटने के बाद इन अटकलों को और बल मिला है। हालांकि आधिकारिक तौर पर कंपनी द्वारा प्रोजेक्ट छोडऩे की कोई पुष्टि फिलहाल नहीं हो पाई है, लेकिन पर्यटन विभाग के मुताबिक भी टाटा ने, धर्मशाला रोप-वे लिमिटेड कंपनी में स्वामित्व को लेकर चल रही खींचतान के बारे में सरकार और पर्यटन विभाग को अवगत करवाया था।</p>
<p>पुख्ता सूत्रों के मुताबिक टाटा कंपनी के धर्मशाला रोप-वे लिमिटेड के अन्य हितधारकों के साथ कुछ मतभेद चल रहे हैं। इन मतभेदों को अपने हक में सुलझता न देख कंपनी ने इस प्रोजेक्ट से किनारा करना ही बेहतर समझा है। सूत्रों के मुताबिक टाटा ने इस प्रोजेक्ट में काम नहीं करने को लेकर भी सरकार को अवगत करवा दिया था और 31 जनवरी 2019 तक ही यहां काम करने की बात भी कही थी। अब जबकि कंपनी के कर्मचारी जिस तरह से अपना सारा सामान समेटने में लगे हैं उससे यही प्रतीत हो रहा है कि टाटा यह प्रोजेक्ट छोडक़र जा रही है। बताया यह भी जा रहा है कि कंपनी के कर्मचारी 31 जनवरी के बाद इस प्रोजेक्ट की किसी भी साइट पर काम नहीं करेंगे।</p>
<p>इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पर्यटन विभाग के द्वारा तैयार करवाया जा रहा था और टाटा रियल्टी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर को बिल्ट, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर यह प्रोजेक्ट मिला था। इसके तहत कंपनी ने जहां इस प्रोजेक्ट का पूरा निर्माण करना था, वहीं इसे आगामी कुछ सालों तक चलाना भी था। उसके बाद कंपनी किसी अन्य को यह प्रोजेक्ट चलाने को दे सकती थी। अब रोप-वे का काम चल रहा है और बेस लगभग तैयार हो गया है। ऐसे में टाटा कंपनी द्वारा काम बीच में छोडक़र जाना कई सवाल खड़े कर रहा है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>2015 में टाटा को मिला था प्रोजेक्ट</strong></span></p>
<p>पूर्व कांग्रेस सरकार में प्रदेश में रोप-वे बनाने की मुहिम शुरू की गई थी। इसी कड़ी में धर्मशाला से मैक्लोडगंज रोप-वे बनाने की भी रूपरेखा तैयार की गई थी। करीब 2.36 किलोमीटर लंबे इस रोप-वे का ठेका 2015 में टाटा रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को मिला। उसके बाद कुछ अन्य लोगों को साथ मिलाकर, टाटा ने इस रोप-वे निर्माण के लिए धर्मशाला रोप-वे लिमिटेड के नाम से एक गैर सरकारी कंपनी का गठन किया।</p>
<p>8 मई 2015 को यह कंपनी मुंबई में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास पंजीकृत हुई। इसके उपरांत 17 जनवरी 2016 को इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया था। साल 2016 में इसका काम शुरू होना था और डेढ़ वर्ष में यह पूरा होना था, लेकिन औपचारिकताओं के फेर में फंसकर यह प्रोजेक्ट देरी से शुरू हुआ। अब यदि टाटा कंपनी इस प्रोजेक्ट से हट जाती है तो यह प्रोजेक्ट लटक भी सकता है।</p>
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