<p>डायलिसिस सेंटरों में मरीजों को नई जिंदगी मिलती है। लेकिन ऊना के क्षेत्रीय अस्पताल में स्थापित डायलिसिस सेंटर में मरीजों को जिंदगी नहीं बल्कि मौत मिलती है। पिछले डेढ़ माह से बिना डॉक्टर के चल रहे इस डायलिसिस सेंटर में दो मरीजों की मौत हो चुकी है। बाबजूद इसके पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में डायलिसिस सेंटर चलाने वाली कंपनी और स्वास्थ्य महकमे की नींद टूटी है। मीडिया द्वारा इस मामले को उठाने बाद सीएमओ साहिब डाक्टर की तैनाती करवाने की बजाय सेंटर को ही बंद करने की बात कर रहे है।</p>
<p>प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दम भरने वाले स्वास्थ्य विभाग की पोल क्षेत्रीय अस्पताल में पीपीपी मोड में चलाये जा रहे डायलिसिस सेंटर ने खोल कर रख दी है। क्षेत्रीय अस्पताल ऊना और विवादों का चोली दामन का ऐसा साथ है कि कभी मरीजों की मौत, कभी डाक्टरों की कमी और कभी डाक्टरों की बदसलूकी के कारण यह अस्पताल हमेशा सुर्ख़ियों में रहता है।</p>
<p>करीब छह महीने पहले क्षेत्रीय अस्पताल में खुले डायलिसिस सेंटर ने स्वास्थ्य दावों की हवा निकल दी है। लगभग डेढ़ माह से इस डायलिसिस सेंटर में एक्सपर्ट डॉक्टर तक नहीं है। बिना एक्सपर्ट के ही रोगियों के डायलिसिस किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस सेंटर में जो डॉक्टर तैनात थे, वो बिना नोटिस दिए ही आगे अपनी पढ़ाई करने चले गए हैं। लेकिन उनकी जगह किसी दूसरे एक्सपर्ट की अभी तैनाती नहीं की गई है।</p>
<p>मौजूदा समय में डायलिसिस सेंटर की व्यवस्था सीनियर टेक्नीशियन के सहारे ही चल रही है। उनकी देखरेख में ही रोगियों के डायलिसिस हो रहे हैं। कायदे से रोगी का डायलिसिस बिना एक्सपर्ट डॉक्टर के नहीं हो सकता है। नेफ्रोलोजिस्ट तो कभी यहां विजिट पर आते ही नहीं हैं। और तो और इस सेंटर में मैनेजर का पद भी खाली चल रहा है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>2 मरीजों की हो चुकी है मौत</strong></span></p>
<p>डायलिसिस सुविधा देने वाली कंपनी की इस लापरवाही का खामियाजा दो मरीजों को अपनी मौत से चुकाना पड़ा है। बताया जा रहा है कि इस डायलिसिस सेंटर में दो मरीजों की मौत हो चुकी है। इस डायलिसिस सेंटर में रोजाना लगभग 12 मरीजों का डायलिसिस किया जाता है। डायलिसिस सेंटर में इलाज के लिए आने वाले मरीजों ने शीघ्र डाक्टर की तैनाती की मांग उठाई है। वहीँ एक मृतक के रिश्तेदार ने भी आपबीती सुनाई। </p>
<p>वहीं इस डायलिसिस सेंटर के यूनिट हेड भी मानते है कि बिना डॉक्टर डायलिसिस किया जा रहा है। यूनिट हेड अपनी जुबान पर काबू नहीं रखा पाए और जहां तक कह दिया कि मुझे 6 साल का तजुर्बा है। अगर हम सेवा नहीं देंगे तो भी लोगों की मौत तो होगी ही। हालांकि यूनिट हेड ने इस मामले बारे कंपनी के उच्चाधिकारियों को अवगत करवाए जाने का दावा भी किया।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>CMO ने किया सेंटर बंद करने का दावा</strong></span></p>
<p>वहीं सीएमओ साहिब की माने तो डायलिसिस सेंटर चलाने वाली कंपनी को एक सप्ताह पहले भी शीघ्र डाक्टर तैनात करने की चेतावनी दी गई थी। सीएमओ साहिब डॉक्टर तैनात ना होने की सूरत में आज ही इस डायलिसिस सेंटर को बंद करने का दावा कर रहे हैं।</p>
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