शिमला में दो दिन से हो रही बारिश ने नगर निगम के दावों की पोल खोल कर रख दी है। नगर निगम शिमला के तहत वार्डों में सही ड्रेनेज सिस्टम न होने की वजह से सड़कें नालों में तबदील हो रही हैं। नगर निगम ने बरसात से पहले ड्रेनेज सिस्टम दरुस्त करने के दावे तो किए थे, लेकिन 2 दिन लग़ातरा हुई बारिश ने इन दावों की पोल खोल कर रख दी।
शहर की अधिकतर नालियों के बंद होने से सड़कों और रास्तों पर पानी बहता नजर आया। यही नहीं, बारिश का पानी संजौली, विकासनगर, कृष्णानगर के लोगों के लिए खासी परेशानी लेकर आई। संजौली के बंगाला कॉलोनी और कृष्णानगर के पांच परिवारों के घरों में पानी घुस गया, वहीं विकासनगर वार्ड में लोगों की गाड़ियां मलबे में दब गई जिससे लोगों को काफी नुक्सान हुआ।
इस नुक्सान का जायजा लेने के लिए बकायदा निगम मेयर और डीसी अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे और प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता राशि प्रदान की। संजौली स्थित बनागाला कॉलोनी में जिला प्रशासन और निगम ने प्रभावितों के घरों को खाली करवा कर निगम की सराय में स्थानंतरित किया गया और साथ में पांच-पांच हजार की सहायता राशि भी प्रदान की गई।
मेयर कुसुम सदरेट का कहना है कि बीते कल शिमला शहर में भारी से भारी बारिश हुई है जिससे शहर के अधिकतर नाले बंद हो गए हैं। निगम ने बारिश से प्रभावित हुए परिवारों को अन्य जगह पर शिफ्ट कर दिया है और प्रभावितों को जिला प्रशासन की ओर से राहत राशी भी प्रदान की गई है। उन्होंने सभी पार्षदों से आग्रह किया है कि वे अपने अपने वार्डों में नालों और सफाई व्यवस्था पर ध्यान दें ताकि बरसात के दिनों में किसी और परेशानी का सामना न करना पड़े।
वहीं, प्रभावितों का कहना है कि यदि निगम समय रहते शहर के नालों को दुरुस्त करता और सफाई पर विशेष ध्यान दिया होता तो इस तरह का नुक्सान नहीं झेलना पड़ता। निगम के जनप्रतिनिधि अपने दौरों में व्यस्त रहते हैं, लेकिन शहर की और कोई ध्यान नहीं देते। जिससे निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं।