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शिक्षा विभाग द्वारा नेता शिक्षकों के बड़बोलेपन पर अंकुश, अध्यापक संघ बोला प्रदेश में पहली बार बोलने की आज़ादी पर लगा प्रतिबंध

पी. चंद, शिमला |

उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा नेता शिक्षकों के बड़बोलेपन पर अंकुश लगाने के लिए आदेश जारी क्या  किए अध्यापक संघ इसको लेकर तिलमिला उठा है।  राजकीय अध्यापक संघ ने इस अधिसूचना का विरोध किया है। राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार पर अभिव्यक्ति की आजादी छीनने का आरोप लगाया है और अधिसूचना के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है। संघ का कहना है कि हिमाचल के इतिहास में पहली बार अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीना गया है। सरकार उनके लोकतांत्रिक अधिकार को नही छीन सकती है।

संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि यह तानाशाहीपूर्ण अधिसूचना सभी कर्मचारियों के लिए जारी की गई है। भारतीय सविधान ने सभी को अभिव्यक्ति की आजादी दी है। जिसे कोई छीन नहीं सकता है। इस अधिसूचना की आड़ में हिमाचल अध्यापक संघ के तीन पदाधिकारियों पर कार्रवाई करने को कहा गया। उन्होंने कहा कि संघ ने प्री बोर्ड की परीक्षाएं न करने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने 10 वीं 12 वीं की परीक्षाएं एक पेपर के बाद रद्द कर दी। हिमाचल में कोविड नियंत्रण था परीक्षाएं कराई जा सकती थीं। इसी पर संज्ञान लेते हुए विभाग ने तीन अधिकारियों को नोटिस थमा दिया। अध्यापक संघ ने शिक्षा मंत्री से इस अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की है। यदि अधिसूचना को वापिस नहीं लिया जाता है तो संघ न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होगा।