जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने आज यहां शिमला से जारी प्रेस वक्तव्य के दौरान कहा कि प्रदेश सरकार जनजातीय क्षेत्रों में पात्र लोगों को नौतोड़ भूमि प्रदान करने के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में हिमाचल प्रदेश नौतोड़ भूमि नियम 1968 के तहत 20 बीघा से कम भूमि वाले पात्र लाभार्थियों को 20 बीघा सरकारी भूमि प्रदान करने का प्रावधान किया गया था। इसके तहत जनजातीय लोगोें को लाभान्वित किया गया है।
जगत सिंह नेगी ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम-1980 के फलस्वरूप प्रदेश में प्रार्थियों को नौतोड़ भूमि आबंटित नहीं की जा सकी। लोगों की मांग को देखते हुए वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद-5 के तहत वन संरक्षण अधिनियम 1980 को निलंबित किया जो वर्ष 2016 तक तथा उसके पश्चात वर्ष 2016 से 2018 तक जारी रहा।
इस दौरान पात्र लाभार्थियों को नौतोड़ भूमि प्रदान की गई। दिसम्बर, 2017 में सरकार बदलने पर इस प्रावधान के तहत केवल एक लाभार्थी को नौतोड़ भूमि आबंटित की गई जबकि वर्ष 2018 तक नौतोड़ भूमि प्रदान की जा सकती थी। नौतोड़ के कई मामले अभी भी लम्बित पड़े हैं।
जनजातीय विकास मंत्री ने बताया कि वर्ष 2020 में जन आंदोलन के कारण भाजपा सरकार को प्रदेश में एक साल के लिए नौतोड़ का प्रावधान लागू करना पड़ा लेकिन इस दौरान किसी भी व्यक्ति को लाभ प्रदान नहीं किया गया। वर्ष 2023 में कांग्रेस सरकार ने नौतोड़ भूमि प्रदान करने के लिए राज्यपाल से वन संरक्षण अधिनियम 1980 को जनजातीय क्षेत्रों से हटाने का आग्रह किया। गत शुक्रवार को पुनः राज्यपाल से निवेदन कर जनजातीय लोगों की इस मांग को पुनः प्रस्तुत किया गया ताकि पात्र लाभार्थियों को नौतोड़ भूमि प्रदान की जा सके।
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