हिमाचल

व्यय पर्यवेक्षक ने तीसरी बार किया चुनाव व्यय का निरीक्षण

  • रजिस्टर मिलान के दौरान मौजूद रहे उम्मीदवारों एवं राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि और अकांउटिंग अधिकारी
धर्मशाला। लोकसभा आम चुनाव और धर्मशाला निर्वाचन क्षेत्र के उप चुनाव के दृष्टिगत चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त व्यय पर्यवेक्षक प्रतिभा चौधरी (आईआरएस) ने आज मंगलवार को उम्मीदवारों एवं राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों तथा व्यय अधिकारियों के साथ बैठक कर चुनावी खर्चे का निरीक्षण किया। बैठक में एडीसी एवं नोडल अधिकारी सौरभ जस्सल सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के व्यय एजेंट और सहायक व्यय अधिकारी उपस्थित थे। डीसी ऑफिस के सभागार में आयोजित इस बैठक में व्यय पर्यवेक्षक प्रतिभा चौधरी की अध्यक्षता में प्रत्याशियों के चुनावी व्यय की जांच तथा रजिस्टरों का मिलान किया गया।
बता दें, इससे पूर्व 19 तथा 23 मई को चुनाव व्यय खातों का निरीक्षण किया जा चुका है। आज चुनाव से पहले हुई इस अंतिम बैठक में प्रत्याशियों के खर्च रजिस्टर का निरीक्षण तथा शैडो रजिस्टर से मिलान किया गया। प्रतिभा चौधरी ने कहा कि चुनावी व्यय की निगरानी के लिए गठित टीमें सभी चुनावी गतिविधियों एवं खर्चे पर लगातार नजर रख रही हैं। इस दौरान उन्होंने उपस्थित प्रतिनिधियों और अधिकारियों को संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया की जानकारी देने के साथ ही उनके प्रश्नों-शंकाओं के जवाब देकर शंका समाधान भी किया।
व्यय पर्यवेक्षक ने बताया कि उम्मीदवारों को अपने चुनाव प्रचार-प्रसार व अन्य चुनावी गतिविधियों के संबंध में हुए खर्च के ब्योरे को रजिस्टर में दर्ज करना होता है। उन्होंने कहा कि उम्मीदवार के एजेंट सही तरीके से व्यय रजिस्टर तैयार रखें। व्यय पर्यवेक्षक ने चुनावी खर्च एवं व्यय सीमा के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रत्याशी के नामांकन के दिन से लेकर परिणाम घोषित होने तक के सारे खर्च को प्रत्याशी के चुनाव व्यय खाते में जोड़ा जाएगा और प्रचार के सारे खर्च का हिसाब परिणाम घोषित होने के एक महीने के अंदर देना होगा।
उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनावों में निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित 95 लाख रुपये से अधिक की राशि व्यय करने पर प्रत्याशी के विजयी होने पर भी उसकी सदस्यता जा सकती है तथा विस उपचुनाव के लिए 40 लाख की व्यय सीमा निर्धारित की गई है। इसलिए सभी प्रत्याशी निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित सीमा के अंदर ही प्रचार पर धनराशि व्यय करें। उन्होंने बताया कि चुनावी व्यय की निगरानी के लिए वीडियो सर्विलेंस टीमें लगातार नजर रख रहीं हैं। शैडो ऑब्जरवेशन रजिस्टर पर उनके सारे खर्चे की गणना की जा रही है।
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