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एक बार फिर से आंदोलन की राह पर हिमाचली किसान, सेब की 60% पेमेंट आढ़तियों के पास फंसी

<p>हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से किसान बड़े आंदोलन करने की राह पर हैं। किसानों की समस्याओं के लिए बनी संयुक्त किसान संघर्ष समिति ने सरकार से आढ़तियों द्वारा सेब सीजन में&nbsp;किसानों से की गई अवैध वसूली को लौटाने की मांग की है। सरकार अगर जल्द किसानों से की गई अवैध वसूली को वापिस नहीं दिलाती तो समिति ने सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।</p>

<p>किसान नेता संजय चौहान का आरोप है कि प्रदेश की मण्डियों से बाहर हो रहे किसानों के शोषण और लूट को रोकने में एपीएमसी और प्रदेश सरकार विफल रही है। किसान संघर्ष समिति के प्रयासों से 23 नवंबर, 2018 को ठियोग थाना में दोषी आढ़ती के विरुद्ध 11 बागवानों के द्वारा FIR दर्ज की गई थी लेकिन, एक माह बीतने के बावजूद भी पुलिस द्वारा मुकदमों में नामजद अभियुक्त के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की। जिससे साफ प्रतीत होता है कि पुलिस भी दबाव में कार्य कर रही हैं। गैर-जमानती धाराओं के बावजूद आजतक एक भी अभियुक्त को पुलिस ने पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है जो कि पूरी तरह देश के कानून के विरुद्ध है।</p>

<p>हिमाचल प्रदेश की मण्डियों में कई आढ़ती कई सालों से किसानों के सेब की फसल का भुगतान नहीं कर रहे हैं और बागवानों द्वारा एपीएमसी में शिकायत करने के बावजूद कोई भी कार्यवाही एपीएमसी द्वारा नहीं की जा रही हैं। जिस पर किसानों ने एपीएमसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए है। किसान नेता संजय चौहान ने कहा कि एपीएमसी कानून, 2005 के अनुसार प्रदेश की मण्डियों को नियंत्रित करना एपीएमसी का उत्तरदायित्व है। बागवानों को कई आढ़ती कई वर्षों से भुगतान नहीं कर रहे है यदि बागवान अपने पैसे मांगते हैं तो उन्हें डराया जाता है या फोन ही नहीं उठाते हैं। प्रदेश के करीब 60 प्रतिशत बागवानों का बकाया भुगतान आढ़तियों से लेना है। सरकार और एपीएमसी की लचर कार्यप्रणाली के चलते बागवानों से लूट व शोषण हर साल बढ़ता ही जा रहा है।</p>

<p>किसान संघर्ष समिति ने मांग की है कि बागवानों द्वारा दोषी आढ़तियों के विरुद्ध की गई FIR पर सरकार तुरन्त कार्यवाही करें। सरकार एपीएमसी कानून, 2005 के प्रावधानों जिसमें खरीददार से अग्रिम राशि रखने का प्रावधान करे व बागवानों का भुगतान बोली अंतिम होने पर तुरन्त किया जाए। प्रदेश में तय की गई अनलोडिंग की 5 रुपये प्रति पेटी की कटौती ही सुनिश्चित की जाए जहां 10-30 रुपये तक गैर कानूनी कटौती जिन आढ़तियों ने बागवानों से की है उसे तुरंत वापिस किया जाए।</p>

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