<p>वन मंत्री राकेश पठानिया ने हिमाचल प्रदेश में वन आधारित उद्योग स्थापित करने की संभावनाओं को तलाशने के उद्देश्य से वन विभाग की बैठक की अध्यक्षता की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करने और उनकी आजीविका में बढ़ोतरी करने के लिए प्रदेश में बहुउद्देश्यीय गतिविधियां शुरू करने की आवश्यकता है। उन्होंने वन में पाये जाने वाले फूलों, फलों, सूखे मेवों, जड़ी-बूटियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वनों पर आधारित उद्योग और प्रदेश में देवदार ईकाइयां स्थापित करने पर बल दिया।</p>
<p>बैठक में चीड़ की पत्तियों को एकत्रित करने और हटाने के लिए नीति और दिशा-निर्देश बनाने पर भी चर्चा की गई। बैठक में यह जानकारी दी गई की विभाग द्वारा देवदार की पत्तियों पर आधारित उद्योगों को स्थापित करने के उद्देश्य से कुल लागत का 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है।</p>
<p>उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 के दौरान हि.प्र. फॉरेस्ट प्रोड्यूस ट्रांजिट रूल्ज 1978 में किए गए संशोधन के अनुसार चीड़ की पत्तियों को माइनर वन उत्पाद की सूची में शामिल किया गया है और निर्यात परमिट शुल्क 5 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। राकेश पठानिया ने कहा कि उद्योगों और हितधारकों जैसे पंचायत, महिला मंडल, युवक मंडल, गैर सरकारी संगठनों और ग्रामीण वन प्रबंधन समितियों इत्यादी को चीड़ की पत्तियों को हटाने में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।</p>
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