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मंडीः जोगिन्दर नगर में चलने वाली रोपवे ट्रेन खा रही जंग

नवनीत बत्ता |

स्विजरलैंड के अलावा हमाचल के जिला मंडी में जोगिंद्रनगर मात्र एक ऐसा स्थान है जहां पर यह रोपवे ट्रेन एक जगह नहीं बल्कि दो दो जगह चलती थी और दुर्भाग्य से आज दोनों ही जगह यह अपनी हालात पर रो रही है। पहली रोपवे ट्रेन शानन से बरोट तथा दूसरी बस्सी से छपरोट चलती है लेकिन इन तस्वीरों को देखकर हम कह सकते हैं कि हमारे स्थानीय प्रतिनिधि और हिमाचल पर्यटन विभाग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कितने प्रयासरत है। एशिया के पहले हाइड्रो प्रोजेक्ट का निर्माण जब कर्नल बैटी ने जोगिंदर नगर के शानन नामक जगह पर किया तो इसी रोपवे ट्रेन के माध्यम से जोगिंदर नगर से बरोट तक सभी निर्माण सामग्री को  ले जाया जाता था।

ध्यान रहे 1932 से 2026 तक तक की समय सीमा के लिए प्रोजेक्ट पंजाब सरकार के अधीन है। लेकिन इस दृश्य को देखने के बाद आप यह समझने में तनिक भी देर नहीं करेंगे कि कैसे प्रोजेक्ट ही नहीं बल्कि इस रोपवे ट्रेन का रख रखाव किया जा रहा है जो कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी है। अब तक इस  प्रोजेक्ट को लेकर सांसद  से लेकर सरकार तक बड़े-बड़े दावे इसके अधिग्रहण के लिए होते रहे हैं। लेकिन तस्वीरें सारी कहानी को बयान कर रही हैं।

ऐतिहासिक धरोहर जो पूरे राष्ट्र के लिए एक सम्मान की प्रतीक थी आज वह  ट्रेन जंग खा रही है। रोपवे ट्रेक में  झाड़ियां उगी  पड़ी हैं जो स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ-साथ पर्यटन विभाग और सरकार की सक्रियता को दर्शाती है। यह बात इस बात की गवाह है कि हमारी सरकार इस धरोहर के लिए कितनी संवेदनशील है।