हिमाचल

बंजार में पेड़ों की अंधाधुंध कटान में सरकार और माफिया साथ- साथ: जयराम ठाकुर

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बंज़ार में सैकड़ों की संख्या में हरे पेड़ों को काटने में मामले में सरकारी संरक्षण का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर तरह के माफिया सक्रिय हैं.

लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।  एक तरफ़ देश में वनाच्छादित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार अभियान चला रही हैं दूसरी तरफ़ प्रकृति प्रदत्त जीवन देने वाले हरे-भरे पेड़ हिमाचल प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में काटे और बेचे जा रहे हैं। बार-बार स्थानीय लोगों द्वारा आवाज़ उठाने के बाद भी वन विभाग और प्रशासन अनजान बना हुआ है।

आम लोगों के अलावा स्थानीय विधायक सुरेंद्र शौरी के बार-बार आवाज़ उठाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे यह साफ़ है कि वन माफिया पर सरकार में बैठे ताकतवर लोगों का हाथ है। इसलिए यह धंधा धड़ल्ले से चल रहा है।  मुख्यमंत्री यह बताएं कि इस तरह से माफिया को संरक्षण कौन दे रहा है। जो लोग इस खेल में शामिल हैं उन पर क्या कार्रवाई की जा रही है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन में माफिया राज चल रहा है क़ानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी हैं। खनन माफिया से लेकर, स्क्रैप माफिया और वन माफिया का बोलबाला है। कभी स्क्रैप माफिया दिन दहाड़े गोली चला देता है, खनन माफिया पुलिस टीम पर हमला कर देता है तो वन माफिया वन विभाग की टीम पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश करता है।

हिमाचल प्रदेश वन निगम द्वारा एक ठेकेदार को सिराज डिवीज़न में आने वाले शुराग शिल्ह के जंगलों में सूखी लकड़ियां इकट्ठा करने का काम मिला था। लेकिन ठेकेदार द्वारा सूखे और उखड़े पेड़ों की कटान करने के बजाय हरे पेड़ों की धड़ल्ले से कटान की गई। इसके लिए कश्मीर से ख़ास श्रमिक बुलाए गए। यह सब प्रशासन की निगरानी में हुआ।

डिमर-चाहड़ी के गोदाम में पांच से छः हज़ार से ज़्यादा हरे पेड़ों के स्लीपर पड़े हुए हैं लेकिन ज़िम्मेदार आंखे बंद कर बैठे हैं। इस तरह के खुल हो रहे खेल में कौन-कौन शामिल हैं और  उन्हें किस-किस का संरक्षण प्राप्त हो है। यह प्रदेश के सामने आना चाहिए। यह घटना बहुत गंभीर हैं और इस घटना में शामिल सभी आरोपियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की गई है, उसके बारे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रदेश के लोगों को बताना चाहिए।

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