शिमला: अरनी विश्वविद्यालय के चांसलर के साथ हुई घटन और उसके बाद हुए विवाद से साफ़ है कि कि प्रदेश में क़ानून का राज नहीं चल रहा है। इस पूरे मामले में सत्ताधारी दल के विधायक और प्रशासन के लोगों की मिली भगत की बात सामने आना भी शर्म की बात है।
उन्होंने कहा कि छात्रों के साथ किसी प्रकार का अन्याय न हो अतः इस पूरे प्रकरण की निष्पक्षता से जांच हो। अख़बारों में एक अधिकारी और यूनिवर्सिटी के चांसलर के साथ हुई बातचीत के अंश छपे हैं। इस पूरे प्रकरण की जाँच होनी चाहिए।
यह हिमाचल प्रदेश की छवि का मामला है। अतः मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूँ कि वह इस मामले में स्वयं दखल दें और न्याय सुनिश्चित करें। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सत्ता के संरक्षण में रह रहे लोगों को यह भूलना नहीं चाहिए कि इस देश में चीजें नियम-क़ानून से चलती हैं। यूनिवर्सिटी भी नियम क़ानून और मापदंडों से ही चलें।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक तरफ़ मुख्यमंत्री प्रदेश में निवेश लाने के लिए दुबई की यात्रा कर रहे हैं दूसरी तरफ़ क़ानून व्यवस्था की स्थिति ख़राब हो रही है। यह प्रदेश के लिए किसी भी प्रकार से अच्छी बात नहीं है। सरकार को ऐसे मनबढ़ लोगों पर नियंत्रण लगाना होगा।
जो प्रदेश और सरकार के लिए भी संकट खड़ा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। अतः इस मामले की गंभीरता से जांच करवाई जानी चाहिये और जो भी दोषी हो उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा सत्ता शरीफ़ शहरियों की सुरक्षा के लिए होती है माफिया को संरक्षण देने के लिए नहीं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस तरह माफिया का ताकतवर होना न तो प्रदेश के वर्तमान के लिए अच्छा है और न ही भविष्य के लिए। मुख्यमंत्री को क़ानून-व्यवस्था की भी परवाह करनी चाहिए।
यदि इस तरह से सत्ता का दुरुपयोग करके लोगों को डरा,धमका कर काम करवाने की परंपरा ठीक नहीं है। इससे प्रदेश की छवि ख़राब होगी और निवेशक प्रदेश से दूरी बना लेंगे। जिससे प्रदेश की आर्थिकी को भारी नुक़सान होगा।