राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने राजभवन में शशांक मणि की पुस्तक ‘मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया’ का विमोचन किया। लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला भी इस अवसर पर उपस्थित रहीं।
राज्यपाल ने शशांक मणि के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ‘मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया’ पुस्तक के माध्यम से भारत के आर्थिक, सामाजिक और राजनीती के केंद्र को उच्च वर्ग से देश के उभरते हुए मध्यम वर्ग की तरफ ले जाने का एक साहसिक प्रयास किया है जबकि दूसरी तरफ जातिगत जनगणना कर वोट के लिए कुछ लोग देश को तोड़ने में लगे हैं।
इस अवसर पर, पुस्तक के लेखक शशांक मणि ने कहा कि 13 अध्यायों से अधिक की यह पुस्तक अमृत काल पर भारत की एक नई दृष्टि को रेखांकित करती है। इन तेरह अध्यायों के ऊपर चार प्रमुख अवधारणाएँ हैं, और इन्हें कहानियों, उपाख्यानों और गहन शोध के माध्यम से प्रकाश में लाया गया है।
पुस्तक में उनके पिछले 15 साल से पूरे देश में की गई जागृति यात्रा जैसी विश्व की सबसे बड़ी रेल यात्रा जिसमें देश के अब तक 7500 युवाओं को तैयार किया है और उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया गया है के बारे में भी उल्लेख किया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि पुस्तक में उन उपेक्षित लोगों की अनसुनी कहानियों को उजागर किया गया है, जिन्हें उनके स्थान और भाषा के कारण लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया। शुक्ल ने कहा कि देश के हर व्यक्ति को भारत को जोड़ने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है और शशांक मणि द्वारा चलाई जा रही ‘जागृति यात्रा’ यही कार्य कर रही है।
जातिगत जनगणना को लेकर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने विपक्षी दलों पर बिना नाम लिए निशान साधते हुए कहा है कि कुछ लोग अपने वोट बैंक के लिए देश को तोड़ने में लगे हुए हैं जबकि समाज को जोड़ने के लिए काम किया जाना चाहिए।
दुनिया आज भारत की तरफ देख रही है जबकि भारत कर कुछ लोग देश को तोड़ने में लगे हैं।जातिवाद को बढ़ावा देकर लोकतंत्र को सशक्त नहीं किया जा सकता है। समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया की पंक्तियों दाम बांधो जाति तोड़ो का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा कि समाज को जोड़ने की आवश्यकता है न कि जाति के आधार पर बांटने की।