राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने नई दिल्ली में कमलाकांत त्रिपाठी द्वारा लिखी पुस्तक, विनायक दामोदर सावरकर नायक बनाम प्रतिनायक का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पुस्तक में किया गया वस्तुपरक आकलन सावरकर को नायक की स्वीकार्यरता प्रदान करता है।
शुक्ल ने कहा कि यह पुस्तक विनायक दामोदर सावरकर के जीवन और विरासत पर प्रकाश डालती है कि किस प्रकार उन्होंने अपने विचारों, साहित्य, और लेखन से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति की बिगुल फूंक दी थी।
सावरकर के क्रांतिकारी विचारों से डर कर गोरी हुकूमत ने उन पर न केवल जुल्म ढाया बल्कि उन्हें काला पानी भेजते हुए दो जन्मों के आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई थी। लेकिन इन सब से बिना डरे सावरकर देश की आजादी के लिए भारतवासियों को एकत्रित करने में निरंतर प्रयास किए। अपनी लेखनी और विचारों से उन्होंने देश को एकसूत्र में पिरोने का काम किया। यह पुस्तक वीर सावरकर की जीवनी, विचार और राष्ट्रीय आंदोलन में उनके योगदान को समर्पित है। इस अवसर पर अन्य गणमान्य भी उपस्थित थे।
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